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विशेष रिपोर्ट: टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन का सर्वे,आइये जानते हैं.130 साल से क्यों पूरी नही हो पाई बहुप्रतीक्षित घोषणा @हिलवार्ता
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टनकपुर बागेश्वर रेलवे लाइन के फाइनल सर्वे के लिए केंद्रीय रेल मंत्री का आभार जताया है और कहा है कि इसके लिए राज्य को लगभग 29 करोड़ रुपया स्वीकृत भी हुआ है ।
पिछली कई सरकारों ने उक्त रेलवे लाइन के लिए इच्छाशक्ति जाहिर की ,लेकिन यह कार्य योजना परवान नहीं चढ़ सकी । जबकि एक समय मे ही टनकपुर बागेश्वर और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन बिछाने की बातें आजादी के बाद से ही होती रही हैं । अब देखना होगा कि वाकई सरकार इस काम को आगे बढ़ाने में दृढ़ संकल्प है या पहले की तरह ही मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जायेगा ।
थोड़ा विस्तार से इस मुद्दे पर नजर डालते हैं
दरअसल उत्तराखंड की राजनीति में यह मुद्दा हर चुनाव में उठा और चुनाव बाद ठंडे बस्ते में चला गया । आज फिर से टनकपुर बागेश्वर रेलवे लाइन के सर्वे की बात सभी संचार माध्यमों में छपा है टनकपुर निवासी 82 वर्षीय घनानंद जोशी कहते हैं कि
2006 में रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस लाइन की सर्वे की बात की । उसके कुछ समय बाद इसकी चर्चा ही बंद हो गई । वर्ष 2011 में अलमोड़ा से सांसद प्रदीप टम्टा ने लोकसभा में रेलवे लाइन का मामला उठाया और उन्हें भी सर्वे से आगे कोई सफलता नही मिल सकी। पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड भगत सिंह कोश्यारी ।पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व प्रकाश पंत ने भी अपने अपने समय मे इस प्रोजेक्ट की पैरवी की लेकिन बात वहीं की वहीं रही ।
लोगों में इस लाइन के लिए बार बार वादे और उनकी अनदेखी से होने की वजह अब इस तरह की घोषणाओं के प्रति बेरुखी साफ देखी जा सकती है । बागेश्वर से भुवन जोशी कहते हैं कि काश यह वादा सर्वे से आगे बढ़ पाता जिससे लोगों को स्थानीय उत्पादों के लिए उपयुक्त ट्रांसपोर्टेशन मिलने से कई अवसर प्राप्त होते ।
ज्ञात रहे कि बागेश्वर टनकपुर रेलवे लाइन का सर्वे वर्ष 1888-89 में तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत द्वारा कराया गया था जिसके बाद भारतीय राजनीतिक शक्तियां दुबारा पूरा सर्वे तक नहीं करा पाई ।
अब देखना है कि बर्तमान डबल इंजन सरकार लोगों की अपेक्षाओं को पूरा कर पाती है या यह मुद्दा फिर एक बार पूर्व की तरह जुमला साबित होता है ।
हिलवार्ता न्यूज डेस्क