उत्तराखण्ड
उत्तराखंड: बीज बचाओ प्रणेता जड़धारी के नेतृत्व में पिथौरागढ़ अस्कोट से आराकोट यात्रा शुरू,12 दिवसीय यात्रा में जैव विविधता का होगा अध्ययन. पूरी खबर @हिलवार्ता
उत्तराखंड: बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धरी और साथी इन दिनों 12 दिवसीय उत्तराखंड अध्ययन यात्रा पर हैं । बीज बचाओ आंदोलन और सर्वोदय मंडल टिहरी गढ़वाल के संयुक्त प्रयासों से इस यात्रा का सुभारम्भ 19 सितम्बर 2021 को अस्कोट से शुरू हुआ है ।
गांव में जानकारी लेते हुए दल के सदस्य
1986 में बीज बचाओ आंदोलन शुरू करने के साथ साथ स्थानीय उत्पादों के पैरोकार जड़धारी के साथ बड़ी संख्या में जन समर्थन जुट रहा है । पद यात्रा का मुख्य उद्देश्य लोगों को गांव से जोड़ने, खेती के लिए प्रेरित करना साथ ही अपना खानपान जैविक रखने की जागरूकता प्रसारित करना है । 12 दीनी यात्रा में जैव विविधता पर अध्ययन भी शामिल है । इसके साथ साथ नकली बीजों के खिलाफ आवाज उठाना ,रासायनिक खादों का उपयोग न करने,पहाड़ी खानपान अपनाने की अपील की जा रही है ।
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यात्रा अस्कोट से शुरू होकर जौलजीवी, गर्जिया गांव,घाट पनार होते हुए अल्मोड़ा । अलमोड़ा से रानीखेत द्वाराहाट होते हुए चौखुटिया, । चौखुटिया से चमियाला गैरसैण रुद्रप्रयाग, रुद्रप्रयाग से मोरी प्रतापनगर पुरोला त्यूनी होते हुए 30 सितम्बर को आराकोट पहुँचेगी ।अस्कोट से आराकोट उत्तरकाशी के लिए रवाना हुआ यात्री दल ने रवाना होने से पूर्व गर्जिया के ग्रामीणों के साथ की बैठक की ।
आंदोलन के संयोजक विजय जड़धारी ने कहा कि चिपको आंदोलन से जुड़े लोगों द्वारा इससे पूर्व पदयात्राएं की गई। उत्तराखंड की खेती पर जलवायु परिवर्तन, जंगली जानवरों के हमले, व आधुनिक हरित क्रांति के बाद जहरीली खाद के दुष्परिणामों, पशुधन का संकट, पहाड़ी पोषण युक्त प्रतिरोधी खानपान, की महत्ता बताई जा रही है ।
प्रवका रघुभाई जड़धारी ने बताया कि यात्री अस्कोट से आगे बढ़कर बागेश्वर, अल्मोड़ा, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी के दौरान गांव के हालातों का अध्ययन करते हुए यात्रा के अंत में उत्तरकाशी जिले के हिमाचल प्रदेश से लगे आरकोट गांव तक पहुंचेगा। उन्होंने बताया कि यह यात्रा इस वक्त बारनाजा की विविधता युक्त खेती, दलहन, तिलहन व दालों की विविधतायुक्त खेती और खलिहान पर अध्ययन करने के लिए आयोजित की गई है। यह वक्त फसलों के पकने का भी है। इसलिए इससे महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की जाएंगी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में जल, जंगल जमीन पर गहराते खतरो का भी अध्ययन होगा। नाले और उससे निकलने वाली नदियां, छोटे-छोटे गाड़ गदेरे का भी अध्ययन किया जाएगा। गर्मियों में हिमालय में आग से जले जंगलों, इसके वन विभाग के हरियाली कार्यक्रमों और हिमालय दिवस के अवसर पर किए गए कार्यक्रमों का भी अध्ययन किया जाएगा। गौमाता के समर्थन व प्रयासों का भी अध्ययन किया जाएगा।
इसके अलावा बांध परियोजनाओं का भी अध्ययन किया जाएगा। आराकोट रवाना होने से पूर्व यात्री दल ने सीमांत गांव गर्जिया के ग्रामीणों के साथ बैठक की ग्रामीणों द्वारा की जा रही खेती की जानकारी ली और बताया कि खेती- किसानी पर किस तरह का संकट मंडरा रहा है, उसका समाधान किस तरह किया जा सकता है। यात्री दल में पर्यावरणविद विजय जड़धारी, साब सिंह सजवाण, शशि भूषण भट्ट,
रघुभाई जड़धारी, राम सिंह कुट्टी, गोपाल भाई, शक्ति प्रसाद जोशी, सिद्धार्थ समीर, रवि गुसांईं, दिनपाल, अर्पण संगठन के संयोजक रेणु ठाकुर आदि आदि शामिल हैं।
हिलवार्ता से बात करते हुए वयोवृद्ध आंदोलकारी विजय जड़धारी ने बताया कि यात्रा के दौरान हुए अनुभवों के आधार पर एक मांग पत्र तैयार किया जाएगा । जिसे मुख्यमंत्री उत्तराखंड से मिलकर उसके क्रियान्वयन के लिए बातचीत की जाएगी ।
हिलवार्ता न्यूज डेस्क की रिपोर्ट