पर्यटन
उतराखण्ड के युवा घुमक्कड़ जो यात्रा मार्ग से कूड़ा उठा पेश करते हैं मिशाल. पढ़िए पूरा@ हिलवार्ता
दिल्ली और हल्द्वानी के दोस्त जब भी घूमने पर्वतीय क्षेत्र में जाते है वे घूमने के साथ उन रास्तों में पड़ी हुए प्लास्टिक कचड़े को जाते हुए थैलों में भरते हैं वापसी में साथ लाकर उसे नष्ट कर पर्यावरण की रक्षा करते हैं इस टोली के सदस्य हैं अनुराग पाण्डेय,रामसिंह कठायत,आशीष पाण्डेय,मनीष पाण्डेय,मालिक मीणा,रवि पाण्डेय संजू,बिगत वर्षों यह दोस्तो का दल जब भी इन रास्तों गया कुछ न कुछ अच्छा करके ही वापस आया हैं .
दिवस पांडे ने बताया कि उनकी मित्रमंडली इस बार पंचकेदार क्षेत्र में गई ,पंचकेदार रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 3289 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है यहीं है मध्यमहेश्वर। मध्यमहेश्वर से 3-4 किलोमीटर की दूरी पर एक बुग्याल है उसी के बूढा मध्यमहेश्वर भी है इस स्थान से हिमालय के चौखम्बा पर्वत, मंदाकनी पर्वत, केदारनाथ हिमालय श्रेणी के दर्शन होते है इस स्थान के भी सिर्फ 6 महीने ही कपाट खुलते है बाकी 6 माह पूजा आदि उखीमठ में होती है.टीम ने बताया कि यहां पहुँचने के लिए उन लोगों ने उखीमठ से आगे रांसी जहाँ आखिरी सड़क मार्ग है से पैदल ट्रेकिंग की,मध्यमहेश्वर इस स्थान से लगभग 23 किलोमीटर है,इस पैदल रास्ते मे गोंदहार,खम्बा चट्टी आदि गांव हैं,इन गाँवों में रहने,खाने की उचित व्यवस्था स्थानीय लोग कर देते हैं, बेहद सरल और सौम्य लोग आपके खाने पीने और व्यहार से रास्ते की थकान ही मिटा देते है.
ट्रैकर्स द्वारा इकट्ठा गया कूड़ा
साफ्टवेयर इंजीनियर अमित पांडे ने बताया कि इस पूरे ट्रैक पर लोग डिब्बा बंद भोजन और प्लस्टिक कचरा फैला देते हैं जिसे यात्रा के दौरान इकट्ठा करना इन दोस्तों का जुनून है,टोली में अधिकतर युवा उत्तराखंड से हैं पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स दोस्तों का कहना है कि उनका उद्देश्य सिर्फ घूमना नही पहाड़ की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित करना भी है।
हिलवार्ता न्यूज डेस्क
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