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दुखद : नही रहे कुमाउँनी कवि,मंचीय लोक कलाकार तारा राम, खबर @हिलवार्ता
कुमाउनी कवि तारा राम का आज 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया ।कुमाउनी लोक कलाकार तारा राम बेहतरीन मंचीय कलाकर थे । मंचो पर कविता पढ़ना, पर्वतीय धुनों पर उम्रदराज होने के वावजूद थिरकना उनकी फितरत थी । उन्हें दर्शक शालीनता से सुनते थे ।
तारा राम का जन्म 7 जुलाई 1925 को ओखलकांडा के गांव सुरंग में हुआ । बचपन से ही उनकी रुचि लोक संगीत की तरफ थी दूसरी कक्षा तक पढ़े तारा राम ने वावजूद थोड़ा अक्षर ज्ञान के ही कई रचनाएं की । उन्होंने समाज की कुरीतियां के खिलाफ खुद गीत लिखे और अपनी आवाज दी । उनकी कविताओं में महिलाओं को शिक्षित करने,रोजगार, भारत चीन संघर्ष, सहित सामाजिक रिश्तों पर गहरी छाप रहती थी ।
तारा राम कवि पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे इलाज के लिए उन्हें सप्ताह से स्थानीय सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था जहाँ अपराह्न उनकी इलाज के दौरान मृत्यु हो गई ।
तारा राम कवि बड़ी उम्र के अंतिम पड़ाव तक भी सामाजिक क्रियाकलापों में सक्रिय रहे । उन्हें उनकी रचनाओं के लिए सरकार ने कई अवसरों पर सम्मानित किया गया ।पर्वतीय लोक कला के लगभग सभी आयोजनों में तारा राम भागीदारी करते थे उनके निधन पर उत्तराखंड के लोककलाकारों ने दुख व्यक्त किया है ।
हिलवार्ता न्यूज डेस्क