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उत्तराखंड : एम्स का सैटेलाइट सेंटर नहीं बिहार और जम्मू कश्मीर की तर्ज पर दो एम्स हों, राज्य सभा सांसद सहित जनता की प्रतिक्रिया, पढिये@हिलवार्ता

 

सरकार ने उधमसिंह नगर में ऋषिकेश एम्स की सुपरस्पेशलिटी सेंटर (सेटेलाइट सेंटर) ख़ोलने की घोषणा की ।

उत्तराखंड के उधमसिंह नगर की तराई में कल शाम सरकार ने एम्स सेटेलाइट सेंटर ख़ोलने की घोषणा की है । शाम सरकार की तरफ से केंद्र द्वारा सेटेलाइट सेंटर खोले जाने की मंजूरी पत्र  जारी करते हुए कहा गया है कि केंद्र सरकार ने इसकी अनुमति दे दी है जल्द ही उधमसिंहनगर नगर में सेंटर के लिए जमीन ढूढने का काम शुरू किया जाएगा ।

पिछले लंबे समय से एम्स कुमायूँ मंडल में खोले जाने को लेकर सोशल मीडिया और अन्य फोरम्स द्वारा मांग की जा रही थी । एम्स  पिथौरागढ़ बागेश्वर या पर्वतीय जिलों के मध्य किसी स्थान पर एम्स की मांग की जा रही थी । स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित पर्वतीय जिलों में एम्स के बनने से सुधार की संभावनाओं को देखा जा रहा था कि सरकार ने एम्स तराई में ख़ोलने की बात कही है । घोषणा के बाद से लोगों की प्रतिक्रिया आना शुरू हो गई हैं ।

इस मुद्दे पर हिलवार्ता ने लोगों से बातचीत की है ..

 सैटेलाइट सेंटर नही राज्य में बिहार और जम्मू की तर्ज पर दो एम्स खुलें ।  राज्य सभा सांसद  टम्टा का बयान ..
राज्य सभा सांसद प्रदीप टम्टा ने हिलवार्ता को दिए बयान में कहा है कि लोगों की आवश्यकता अनुसार कुमायूँ में सेटेलाइट सेंटर नहीं बल्कि पूर्ण एम्स की जरूरत थी । उन्होंने कहा कि कुमायूँ के सुदूरवर्ती इलाकों से एम्स दिल्ली और एम्स ऋषिकेश समान दूरी पर हैं लिहाजा जनता की जायज मांग की अनदेखी हुई है । उन्होंने यह भी कहा कि जब पर्वतीय राज्य जम्मू कश्मीर में दो एम्स हो सकते हैं तो उत्तराखंड में क्यों नहीं । टम्टा ने बताया कि बिहार में दो एम्स बनाए गए हैं उसी तर्ज पर जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप उत्तराखंड में एम्स बनना चाहिए ।

पहाड़ में बने एम्स नव चेतना मंच पिथौरागढ़
इधर पिथौरागढ़ से भी एम्स के सेंटर खोंले जाने को लेकर नव चेतना मंच ने नाराजगी व्यक्त की है । मंच के जगदीश कलौनी अशोक पांडेय महादेव भट्ट आर पनेरू गिरीश जोशी ने संयुक्त बयान में कहा है कि सरकार द्वारा जनभावना की अनदेखी की गई है । उन्होंने कहा कि एम्स की हमारी मांग कि पिथौरागढ़ सीमान्त में बने । वरना चंपावत बागेश्वर चमोली रुद्रप्रयाग जिलों के मध्य होना चाहिए जिससे कि पहाड़ की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त हो सकें लेकिन सरकार द्वारा उधमसिंहनगर में इसकी घोषणा करना अत्यंत निराशाजनक रहा है । उन्होंने कहा कि उधमसिंहनगर में मेडिकल कालेज बन रहा है वहां स्वास्थ्य सुविधायें कम नहीं हैं । एम्स की जरूरत पर्वतीय क्षेत्रों में थी । कलौनी ने कहा है कि जनता एम्स को पर्वतीय क्षेत्र में ख़ोलने के लिए आंदोलन कर रही थी और यह आगे भी जारी रहेगी ।

सीमान्त क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया

मुनस्यारी से जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा है कि सेटेलाइट सेंटर नही बल्कि पूर्ण परिसर कुमायूँ में खोला जाना चाहिए इन्होंने यह भी कहा कि सुख सुविधाओं से युक्त स्थानों के बजाय पर्वतीय दुर्गम क्षेत्र में एम्स खोला जाना चाहिए जिससे कि पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को उचित इलाज की सुविधा मिल सके ।

यूकेडी की प्रतिक्रिया

उत्तराखंड क्रांति दल के उपाध्यक्ष भुवन पाठक ने पहाड़ की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए इसे जनता के साथ छलावा बताया है । उन्होंने एक बयान में कहा है कि सर्व सुविधा सम्पन्न क्षेत्रों में एम्स ख़ोलने की सरकार की कवायद पलायन को बढ़ाने वाली है । पाठक ने राज्य वासियों के साथ हो रही ना इंसाफी के विरोध करने को कहा है ।

एक राज्य में दो एम्स बन सकते हैं ?

राज्य में दो एम्स बन सकते है कि नही ? यह एक प्रश्न भी लंबे समय से बना हुआ है । तस्दीक करने पर पता चलता है कि  सितम्बर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के दरभंगा में राज्य के दूसरे और देश के 22वें एम्स की घोषणा की । ऐसे ही केंद्रीय मंत्री अवश्वनी चौबे ने बिगत वर्ष 19 जनवरी को जम्मू के सांबा में एम्स को मंजूरी की घोषणा की जिसमें बताया गया कि इसे बनाने में 1661करोड़ रुपये का खर्च आएगा इस तरह अब जम्मू कश्मीर में दो एम्स होंगे एक जम्मू में जबकि दूसरा कश्मीर के सांबा जिले के विजयपुर में । इसी तरह विहार में भी दो एम्स होंगे एक पटना में दूसरा दरभंगा में । यानी अगर सरकार सही से पैरवी करती तो उत्तराखंड में भी दो बिहार और जम्मू कश्मीर की तरह पूर्ण एम्स बनाए जा सकते थे ।

हिलवार्ता न्यूज डेस्क 

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