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समयांतर पत्रिका के संपादक श्री पंकज बिष्ट को मिला "राजकमल चौधरी स्मृति सम्मान'' साहित्यिक गतिविधियों पर 'मित्र निधि' की ओर से प्रख्यात कवि विष्णु शर्मा करेंगे सम्मानित।

  • सुप्रसिद्ध कथाकार और समयान्तर पत्रिका के सम्पादक पंकज बिष्ट को इस वर्ष का ” राजकमल चौधरी स्मृति सम्मान ” दिया जाएगा . यह घोषणा कल नई दिल्ली में की गई . कथाकार बिष्ट को यह सम्मान आगामी 19 जून को राजकमल चौधरी की 52वीं पुण्यतिथि पर दिया जाएगा . उल्लेखनीय है कि यह सम्मान हर दो वर्ष में ” मित्र निधि ” की ओर से दिया जाता है . इस न्यास के संरक्षक वरिष्ठ कवि विष्णु शर्मा हैं . प्रसिद्ध कवि इब्बार रब्बी को 2016 में पहला ” राजकमल चौधरी स्मृति सम्मान ” दिया गया था ।

सुुपरिचित आलोचक व निर्णायक मंडल के सदस्य जानकी प्रसाद शर्मा समकालीन कथा साहित्य में पंकज बिष्ट को एक विशिष्ट सृजनात्मकता वाला कथाकार मानते हैं . जो साप्ताहिक हिन्दुस्तान में 1967 में छपी अपनी कहानी से हिन्दी कथा साहित्य की दुनिया में प्रवेश करते हैं और बहुत अधिक लिखने की बजाय सार्थक व कम लिखने को प्राथमिकता देते हैं ।
उल्लेखनीय है कि पंकज बिष्ट का जन्म 20 फरवरी 1946 को मुम्बई में हुआ। वे मूलत: उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में स्थित नौगॉव (पौराणिक बृद्धकेदार के समीप) नामक गॉव के हैं। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से 1966 में स्नातक करने के पश्चात 1969 में मेरठ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. किया। पढ़ाई के दौरान से ही इन्होंने लेख व कहानियॉ लिखना शुरु कर दिया था । पंकज बिष्ट 1969 में भारत सरकार के सूचना सेवा विभाग से जुड़े । बिष्ट भारत सरकार के सूचना सेवा के प्रकाशन विभाग में उप संपादक व सहायक संपादक, योजना ( अंग्रेजी ) में सहायक सम्पादक, आकाशवाणी की समाचार सेवा में सहायक समाचार , संपादक व संवाददाता, भारत सरकार के फिल्म्स डिवीजन में संवाद-लेखन के तौर पर भी कार्यरत रहे . ” आकाशवाणी ” पत्रिका तथा भारत सरकार के प्रकाशन विभाग की ” आजकल ” हिन्दी पत्रिका का सम्पादन भी बिष्ट ने किया। कथाकार बिष्ट ने सन् 1998 में भारत सरकार के प्रकाशन विभाग से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति अवकास प्राप्त किया। वर्तमान में दिल्ली से 1999 से ” समयांतर ” नामक मासिक पत्रिका का सम्पादन व प्रकाशन कर रहे हैं ।
बिष्ट जी की प्रकाशित पुस्तकों में कहानी संग्रह ” अंधेरे से “(असगर वजाहत के साथ ) , ” बच्चे गवाह नहीं हो सकते “,” पंद्रह जमा पच्चीस “,” टुंड्रा प्रदेश तथा अन्य कहानियाँा ” उपन्यास ” लेकिन दरवाज़ा “,” उस चिड़िया का नाम “,” पंखवाली नाव “,” शताब्दी से शेष ” बाल उपन्‍यास ” गोलू और भोलू ” लेखों के संग्रह ” हिंदी का पक्ष “,” कुछ सवाल कुछ जवाब “,” शब्दों के घर ” आदि शामिल हैं . इसके अलावा उनके यात्रा संस्मरण ” खरामा खरामा ” व सहयात्रियों के संस्मरण पर आधारित ” शब्द के लोग ” चर्चित किताबों ने हिन्दी को एक उच्चस्तरीय कथेतर गद्य साहित्य दिया।
जगमोहन रौतेला
वरिष्ठ पत्रकार
हल्द्वानी ।

Hill varta
साहित्यिक डेस्क

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