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उत्तराखंड छात्रवृत्ति घोटालों के महानायक एसआईटी की गिरफ्त में, गरीब बच्चों के पैसे हड़पने वाले कितने गए आज जेल, आइये पढ़ें @हिलवार्ता न्यूज
समाज कल्याण विभाग छात्रवृत्ति घोटाले में लिप्त संस्थानों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की शुरुवात हुई, आज हरिद्वार जिले के पांच संस्थानों में घोटाले की पुष्टि के बाद संलिप्त लोगों को एसआईटी ने कल गिरफ्तार कर आज न्यायालय में पेशी की है पेशी पश्चात उन्हें जेल भेजा जा रहा है एसआईटी ने पाया कि आर आई एम एस रुड़की ने वर्ष 2012 से 2017 तक गरीब बच्चों की छात्रवृत्ति गलत तरीके से हड़प ली इस दौरान इस संस्थान ने चौदह करोड़ पचास लाख चवालीस हजार पांच सौ उनतालीस रुपया फर्जी दस्तावेजों के जरिये ठिकाने लगाया मदर हुड इस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी ने इसी पीरियड में दस करोड़ पैतीस लाख सात हजार नौ सौ उनतालीस रुपये,महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजिनीरिंग एंड टेक्नोलॉजी ने दो करोड़ नवासी लाख निन्यानवे हजार दो सौ नब्बे रुपये,आई एम एस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की ने चार करोड़ तेरह लाख तिरेपन हजार दो सौ रुपया वर्ष 2012 से 2017 के बीच अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के छात्र छात्राओं को मिलने वाली छात्रवृत्ति गलत डॉक्यूमेंट लगाकर हड़प लिए.
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एस आई टी ने आज घोटाले में शामिल अंकुर राणा पुत्र विजय सिंह क्लर्क आईएमएस रुड़की,शरद गुप्ता पुत्र मांम चंद ,कोषाध्यक्ष मुजीब मलिक सचिव, और जोगेंद्र पाल सदस्य आईएमएस रुड़की सहित मदरहुड,आर आई एम एस,महावीर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी की सचिव/चैयरमेन/कोषाध्यक्ष कुमारी मनिका शर्मा पुत्री कुबेरदत्त शर्मा निवासी 101 गोविंदपुरी कंकड़खेड़ा मेरठ हाल निवासी उक्त तीनों संस्थान को पूछताछ में सही उत्तर नहीं दिये जाने और इन अभियुक्तों की संलिप्तता पाए जाने पश्चात मु.अ. स.496/18 धारा 420,409,120बी के तहत गिरफ्तार कर सिडकुल थाना हरिद्वार में पेश किया गया है आज ही इन्हें न्यायलय में पेश का जेल भेज दिया जा रहा है .
जांच टीम में सहायक पु.अधी.आयुष अग्रवाल विवेचक एसआईटी निरीक्षक कमल कुमार लुंठी उप निरीक्षक राजेन्द्र खोलिया,प्रमोद कुमार, मदनमोहन भट्ट,भानुपवार सदस्य रहे. एसआईटी की मेहनत रंग ला रही है जांच पश्चात यह बात स्पष्ट हो रही है कि उक्त प्रतिष्ठानों में अधिकतर मालिक उत्तराखंड से बाहर के हैं जिन्होंने राज्य बनने के बाद राज्य में घोटालों के लिए मुफीद अधिकारियों संग मिल राज्य के गरीब वंचितों के हक में सेंध लगाई. इस पूरे प्रकरण में प्रदेश में उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी की जांच भी आवश्यक है कि कैसे इन संस्थानों को मान्यता दी गई. साथ ही 2012 से 2017 तक उत्तराखंड में समाज कल्याण विभाग के उच्चाधिकारियों की भूमिका सहित मंत्रालय की भी कि इतना बड़ा घोटाला उसकी नाक तले होता रहा और कभी यह कोशिश नहीं हुई कि इतनी बड़ी धनराशि आखिर हरिद्वार रुड़की में ही कैसे आबंटित हो रही है .
हिलवार्ता न्यूज डेस्क
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