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कथित 200 करोड़ की शादी में हेलीकॉप्टर बैन, माननीय हाई कोर्ट ने सरकार से कहा बताएं शादी वाली जगह क्या उच्च हिमालयी क्षेत्र है, अगर हाँ तो पूर्व का आदेश लागू माना जाय, पूरा पढ़िए आज और पूर्व का आदेश@हिलवार्ता
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार की पीठ ने काशीपुर निवासी हाईकोर्ट के एडवोकेट रक्षित जोशी की जनहित याचिका पर बहस के बाद निर्णय देते हुए होलिकोप्टर लेंडिंग पर पूर्ण रोक लगा दी है.
न्यायालय ने सरकार से कहा है कि यह बताए कि क्या जहाँ शादी हो रही है वह बुग्याल है अगर है तो वहां पर न्यायालय का पुराना आदेश लागू जारी रहेगा .अब सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि यह स्थान बुग्याल है या नहीं अगर यह स्थान बुग्याल ही है तब न्यायालय के पुराने आदेश जिसमे कहा गया है कि उच्च हिमालयी इन इलाकों में स्थायी आया अस्थायी किसी भी तरह की गतिविधि पर पूर्ण रोक है तब गुप्ता बंधुओं की शादी के बड़े तामझाम का मामला खटाई में जा सकता है.
माननीय न्यायालय ने उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा है कि शादी में किसी भी तरह के पर्यावरणीय नुकसान पर नजर रखे और शादी से हुए नुकसान का आकलन कर गुप्ता बंधुओं से उसकी भरपाई की जाय, न्यायालय ने संवेदनशील छेत्र के लिए दिए पुराने निर्णय को बरकरार रखते हुए आदेश दिया कि शादी में होलिकोप्टर का उपयोग वर्जित है यानी न्यायालय ने गुप्ता बंधुओं की शादी में होलिकोप्टर पर पूर्ण रोक लगा दी है.
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल औली में गुप्ता परिवार की शादी में पर्यवारण नुकसान और हिमालयी छेत्र में इतने बड़े तामझाम के खिलाफ माननीय हाई कोर्ट का यह निर्णय पर्यवारण प्रेमियों की उस चिंता को थोड़ा कम करेगा जो किसी तरह इस छेत्र को दुनिया के मानचित्र में लंबे समय तक देखना चाहते हैं, न्यायालय की चिंता भी इसी बात को लेकर है कि इन बेशकीमती उच्च हिमालयी इलाकों को किसी भी कीमत पर बचना जरूरी है.
माननीय न्यायालय द्वारा बुग्यालों सहित उच्च हिमालयी छेत्रों के संदर्भ मे वर्ष 2018 में दिए निर्णय को पढ़ने से कई बातें स्वतः ही स्पष्ट हैं फिर भी अगर वहां शादी की अनुमति मिली है, तब यह मामला न्यायालय के आदेश का उल्लंघन का भी बनता है,आइये देखिए पहला आदेश क्या है.
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अगस्त 2018 में एक आदेश में राज्य सरकार को अल्पाइन, सब—अल्पाइन मीडोज और घास के मैदानों से सभी प्रकार के स्थायी ढांचे तीन माह के अंदर हटाने के आदेश सहित कोर्ट ने अल्पाइन, सब अल्पाइन, मीडोज और बुग्यालों (घास के मैदानों) में घूमने के लिए पर्यटकों की अधिकतम संख्या 200 तक सीमित करते हुए वहां रात्रि विश्राम पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई है,
हाई कोर्ट के 22 अगस्त 2018 के इस आदेश के अनुसार अगर सरकार यह कहती है कि शादी की जगह इसी तरह के मैदानों में हो रही है तब शादी में रात में मेहमान नही रुक सकते और ना ही गुप्ता बंधु की शादी में 200 से अधिक लोग शिरकत कर सकते हैं.
ओ पी पांडेय
@एडीटीर्स डेस्क
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