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उत्तराखंड में 2019 लोकसभा चुनाव के लिए 11 अप्रैल को मतदान में चंद रोज ही बचे हैं समर्थक गली गली पर्चा पम्पलेट लेकर घूम रहे हैं लेकिन पांचों सीटों पर पेंच फसा है । चुनाव विश्लेषक इस बार भी असमंजस में हैं कि वह कह दे कि फलां सीट फलां उम्मीदवार के पाले में जा रही है,2019 में 2014 की तरह लहर जैसा कुछ है ऐसा दिखता नहीं, कांग्रेस उम्मीदवार अधिकतर अपने कद की वजह दौड़ में हैं वहीं भाजपा मोदी के नाम पर जनता के बीच है ।
अल्मोड़ा पिथोड़ागढ़ सीट पर एक ओर दो बार के सांसद प्रदीप टम्टा कांग्रेस के और भाजपा सरकार के मंत्री अजय टम्टा हैं उनके अलावा उपपा युकेडी सहित निर्दलीय उम्मीदवार हैं ,कड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला प्रदीप और अजय के बीच है दोनो दल सीट को अपने पाले लाने के लिए जुटे हैं ।
टिहरी से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार हैं वहीं भाजपा की राजलक्ष्मी माला साह भाजपा की उम्मीदवार हैं इनको भी अपने अपने कद्दावर उम्मीदवार जीतते हुए दिख रहे हैं , मुद्दों पर वोट के लिए कम धुर्वीकरण कर उम्मीदवार अपनी दावेदारी पक्की करने गांव गली वोट मांग रहे हैं । इस सीट पर भी मुकाबला नजदीक का है ।
हरिद्वार सीट नैनीताल की तरह अधिक जनसंख्या वाली सीट है जिसमे कांग्रेस के अम्बरीष कुमार जो पहले भी सांसद रह चुके हैं का मुक़ाबला भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से है जो बर्तमान में हरिद्वार के सांसद हैं यहाँ सपा बसपा मुकाबला रोचक बना रही है ।इस सीट पर जातियों के समीकरण काम ज्यादा करते हैं पिछली बार भाजपा की लहर और अपने कद के चलते निशंक ने बाजी मारी अबकी चुनाव फसा है ऐसा कहा जा रहा है ।
गढ़वाल लोकसभा सीट पर भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी के सुपुत्र मनीष खंडूरी को कांग्रेस ने पार्टी का टिकट दिया है वहीं भाजपा के तीरथ सिंह रावत भी पूर्व में भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं इस सीट पर भी मुकाबला कड़ा माना जा रहा है । लेकिन अभी तक इस सीट पर भी मामला स्पष्ट नही ही कि कौन बाजी मारेगा,
अपने अपने उम्मीदवारों के पक्ष में भाजपा कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता रैलियां कर चुके हैं दोनो दलों के बीच आरोप प्रत्यारोपों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा है भाजपा कांग्रेस के कई स्थानीय नेता नामी हैं लेकिन यहा चुनाव कैंडिडेट के दम पर नहीं मोदी राहुल और ध्रुवीकरण कर लड़ा जा रहा है जातीय समीकरण फिर से पूरे चुनाव में बिठा ही टिकट बटवारा होता है इसलिए जातीय फेक्टर चुनाव काफी हद तक निर्णायक रहने के कयास लगाए जा रहे हैं, स्थानीय नेताओं की जुबान पर स्थानीय मुद्दे नहीं के बराबर हैं , मुद्दों के नाम पर भाजपा मोदी मोदी तो कांग्रेस भाजपा के कामों को काउंटर कर रही है,और बता रही है कि मोदी सरकार विफल है
,स्थानीय मुद्दों के नदारद होने की वजह, छोटी सभाओं में भीड़ जुटाने में असफलता गणित गड़बड़ा रही है , पूरे चुनाव में किसी भी दल को अपेक्षित भीड़ नसीब ही नहीं हुई , छोटी छोटी टोलियां मुहल्लों में पर्ची पम्पलेट लेकर घरों की दहलीज तक दस्तक दे रहे हैं लेकिन 2014 की तरह का उत्साह वोटर नहीं दिखा रहा है । छोटे दल जो अपने अपने एजेंडे के बीच जनता की चौखट पर हैं, देखना होगा उनका वोट का प्रतिशत क्या रहता है । एक बार पुनः कांग्रेस और भाजपा में उत्तराखंड में सीधा मुकाबला है , बसपा ,सपा ,उपपा, ,भाकपा माले, युकेडी ,सहित निर्दलीय बड़ी संख्या में अपने अपने वोट का प्रतिशत बढ़ा चुनाव में फेलबदल की उम्मीद लगाए दौड़ में हैं, 11 अप्रैल के मतदान के दिन पार्टियां कितने वोट अपने पक्ष में कर पाती है तभी स्तिथि कुछ स्पष्ट होगी ।
Hill varta news desk
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