Connect with us

Uncategorized

हैदराबाद में चार दुष्कर्म आरोपियों के एनकाउंटर बाद,सोशल मीडिया में प्रतिक्रियाओं के क्या मायने हैं आइये समझते हैं @हिलवार्ता न्यूज

हैदराबाद में डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोपियों के इनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया में उबाल आया हुआ है कुछ लोग इसे जस्टिस @ राइट वे, मान रहे हैं वहीं कुछ लोगों को इस पर आपत्ति है, आपत्ति करने वालों की अपनी दलीलें हैं कि अगर कानून को इस तरह अपने हाथ ले लिया जाएगा तो अराजक स्थिति हो जाएगी।

अधिकतर इसे ऐसे मामलों में त्वरित कार्यवाही नहीं होने के कारण हुई प्रतिक्रिया मानते हैं लोगो का मानना है ढीली न्यायिक प्रक्रिया का फायदा हर अभियुक्त उठाता है न्याय पाने में सालों लग जाते हैं लोग कमसे कम इस तरह के अपराधों में तुरंत एक्सन चाहते हैं ,

हालिया कोर्ट ने फास्टकोर्ट के जरिये कुछ मामलों में पीड़ीत को न्याय दिलवाया है ,और कोर्ट ने आदेश भी दिया है कि बलात्कार के मामले को हर जिले में फास्टकोर्ट बनें।

लेकिन यह बात भी जानना जरूरी है कि देश मे सुप्रीमकोर्ट,हाईकोर्ट से लेकर निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति सरकार को करनी होती है कई बार मुख्य न्यायाधीश सरकार से अदालतों में पूरी संख्या में नियुक्तियों के लिए आग्रह कर चुके है जिसकी शायद ही सुनवाई होती है । इसके अलावा कोर्ट की भी अपनी हीलाहवाली है ही कि लोगों की विपरीत प्रतिक्रियाएं आ रही है । लोग मानते है अगर इस तरह के मामलों में कोर्ट के जरिये तुरंत हो जाता तब पुलिस इनकाउंटर की नौबत शायद आती भी नहीं ।

एक बात और लोगों ने उठाई है वह यह कि सालों से जेल में आराम फरमा रहे दुष्कर्म के आरोपियों को क्यों नही तुरंत सजा हो रही है, उनके लिए भी लोग ऐसी हो सजा की मांग करने लगे हैं इस घटना में यह सामनेे आया कि लोगों की नाराजगी संसद विधानसभाओं में दुष्कर्म के आरोपी माननीयों को सामाजिक मान्यता देने वाले राजनीतिक दलों को लेकर भी है कि कानून के निर्माता ही जब अपराधी होंगे तब आम आदमी को ही सजा किसलिए ?

आम लोगो ने इस बीच गूगल पर एडीआर की रिपोर्ट सर्च की है जिसे पढ़ चौकना लाजमी है हाल ही एडीआर ने पिछले पांच साल का माननीयों का खाका तैयार किया है एडीआर के अनुसार देश भर के 776 में से 768 सांसदों (राज्यसभा, लोकसभा ) और 4120 विधायकों में से 4077 विधायकों यानी कुल 4896 माननीय द्वारा चुनाव आयोग में दाखिल एफिडेविट का उन्होंने अध्ययन किया जिसमें 1580 माननीयों यानी कुल 33 प्रतिशत आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। इन 1580 माननीयों में से 48 पर महिला उत्पीड़न गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं ।इन अड़तालीस में 45 देश भर के विधायक और 3 संसद सदस्य हैं ।जिनको सभी राजनैतिक दलों ने अपने दल में शुशोभित किया हुआ है । यही नहीं बहुचर्चित आशाराम रामरहीम चिन्मयानंद जैसे बाबाओं पर कोर्ट में मामले चल रहे हैं जिनको भी इसी तरह की सजा की मांग की जा रही है ।
चार आरोपियों का इनकाउंटर होने के बाद जिस तरह की प्रतिक्रिया चारो तरफ से आई है उससे लगता है कि भारतीय समाज इस तरह के मामलों में त्वरित न्याय चाहता है इस मामले के बाद न्यापालिका पर त्वरित केस निपटारे का दबाव भी होगा कि ऐसा न हो लोग और कार्यदायी संस्थाएं स्वतः ही निर्णय लेने लग जाएं । दरसल रेप के मामलों में लंबी प्रकिर्या का फायदा उठाकर हालिया अभियुक्तों ने पीड़ित और साक्ष्य की ही समाप्त करने की कोशिश की है । लचर सिस्टम के खिलाफ लोगों की प्रतिक्रिया जिस तेजी से आ रही है अगर उसे जल्द समझ ठीक नही किया गया तो इसके परिणाम भयावह हो सकते हैं अन्य मामलों में जनता कानून अपने हाथ मे ले सकती है

तब हालात क्या होंगे समझा जा सकता है इन मामलों में सरकार और कोर्ट को चाहिए कि ऐसे मामलों का निपटारा जल्द करने के प्रयास किये जाएं

हिलवार्ता न्यूज डेस्क

Continue Reading
You may also like...

More in Uncategorized

Trending News

Follow Facebook Page

Tags