उत्तराखण्ड
अलमोड़ा: सेल्फ फाइनेंस पढ़ाई पर छात्रों ने जताई नाराजगी, पर्वतीय गरीब छात्रों को रेगुलर मोड में सीटें बढ़ाकर समाहित करने की मांग,ख़बर विस्तार से @हिलवार्ता
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अलमोड़ा द्वारा विगत वर्ष सेल्फ फाइनेंस बन्द किये जाने के बाद दुबारा 2021 में बीएससी में सीटें कम कर अलमोड़ा परिसर में सेल्फ फाइनेंस लागू किए जाने से छात्र खफा हैं । छात्रों का कहना है कि राज्य के अंर्तगत सरकारी संरक्षण वाले महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों के परिसर में राज्य के गरीब छात्र शिक्षण के लिए आते है लिहाजा सेल्फ फाइनेंस तुरंत बन्द किया जाए । साथ ही जिन छात्रों ने मजबूरी में सेल्फ फाइनेंस के तहत एडमिशन लिया है उनकी फीस वापस कर उन्हें रेगुलर मोड में समाहित किया जाए ।
छात्रों ने बताया है कि बी.एससी. सेल्फ़ फाइनेंस को गत वर्ष विश्वविद्यालय की विद्या परिषद एवं कार्य परिषद के निर्णय उपरांत कुलपति के आदेशों के पश्चात बन्द किया गया था । इस वर्ष इसे दुबारा शुरू कर दिया गया है । छात्र नेताओं ने कहा है कि पाठ्यक्रम नियमित मोड में परिसर में पूर्व से संचालित हो रहे हैं, उन्ही पाठ्यक्रमों को साथ-साथ स्ववित्त पोषित मोड में चलाया जाना उत्तराखंड शासन के शासनादेशों के भी अनुरूप नहीं है।
छात्रों ने कहा है कि पर्वतीय क्षेत्रों के गरीब विद्यार्थियों को सस्ती एवं अच्छी शिक्षा प्रदान कराने के उद्देश्य से बने विश्वविद्यालय में सेल्फ़ फाइनेंस के नाम पर विद्यार्थियों/ अभिवावकों पर अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है । अभिवावक भी मानते हैं कि अधिक पैसे देकर पढ़ाई तो निजी विश्वविद्यालय भी करा रहे हैं फिर नए सरकारी विश्वविद्यालय बनाये ही क्यों जा रहे हैं ?
छात्र बताते हैं कि 2020 में नियमित पाठ्यक्रम में बी.एससी. PCM में 156 एवं ZBC में 237 प्रवेश किये गये थे जबकि इस वर्ष PCM में कुल 100 एवं ZBC में 132 छात्रों को ही नियमित पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया है । यह सोची समझी साजिश है छात्र कहते हैं कि अलमोड़ा परिसर प्रशासन जानबूझकर कतिपय लोगों के फायदे के लिए सेल्फ फाइनेंस को लाना चाहता है जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा ।
5. वर्ष 2019 एवं उससे पूर्व के वर्षों में भी PCM में 120 से अधिक विद्यार्थियों को एवं ZBC में 160 से अधिक विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता रहा है किन्तु इस वर्ष एक सोची समझी रणनीति के तहत सीटें न्यूनतम रखी गई हैं ताकि प्रवेश न मिलने से परेशान छात्रों को सेल्फ़ फाइनेंस में प्रवेश लेने हेतु मजबूर होना पड़ रहा है
गत वर्षों मे परिसर में संचालित बी.एससी. सेल्फ़ फाइनेंस पाठ्यक्रम के संचालन में छात्रों द्वारा अनेक धांधलियों की शिकायतें की गयीं थीं और उसकी जांच के आदेश भी हुए थे किन्तु आज तक जांच का कोई परिणाम सामने नहीं आया।
छात्र नेता गोपाल भट्ट ने कहा है कि परिसर में बी.एससी. सेल्फ़ फाइनेंस की पूर्व की लगभग 60 लाख रूपये की धनराशि परिसर के पास बची हुई है जिसे आवश्यकतानुसार छात्र हित में लगा कर नियमित पाठ्यक्रम में सीटें बढ़ाई जानी चाहिए एवं उच्च शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगानी चाहिए।
ज्ञात रहे कि इसी वर्ष 30 प्रतिशत सीट बढ़ाने का निर्णय हुआ है। बागेश्वर व पिथौरागढ़ परिसर में 30 प्रतिशत सीटें बढ़ाई गई हैं लेकिन अलमोड़ा में कहानी उलट है । छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय अल्मोड़ा में भी 30% सीटें बढ़ाये । जिन छात्रों को सेल्फ फाइनेंस के माध्यम से प्रवेश दे दिया गया है उनकी फीस वापस की जाए उन्हें नियमित मोड में प्रवेश दिया जाए ।
हिलवार्ता न्यूज डेस्क