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सिर्फ विज्ञापन के भरोसे जरूरत की वस्तु खरीदना खतरनाक हो सकता है
अक्सर टीवी अखबारों में विज्ञापनों पर भरोसा कर लेते हैं विज्ञापनो पर आंख बन्द कर भरोसा और खरीददारी करना उतना भरोसे के लायक नहीं है जितना हम समझते हैं दरसअल इन सामानों को हमारे फिल्मकार और बड़े नाम वाले खिलाड़ी कर रहे होते है आये दिन इन बातों के प्रमाण मिलते कि कई उत्पाद /की गुणवत्ता घटिया है ।
रोजमर्रा दौड़भाग भरी जिंदगी में इन खरीदे आइटम में अगर कोई खराबी है आप खरीदे गए स्टोर जाएं तो आपको संबंधित कंपनी के सर्विस सेंटर भेज दिया जाता है उसे भी कोई कंपनी का फ्रेंचाइजी चला रहा होता है आपके उदपाद से ज्यादा खर्च आपको उसकी कंपलेन और मरमत के लिए दौड़ भाग में लग जाता है । कंपनियां बड़ी चालाकी से इस खेल को संचालित करती हैं कि ग्राहक थक कर भूल जाए कि उसने कोई उदपाद खरीदा है । जो ग्राहक कंपनी से बदला मसलन अपने हक़ के लिए लगातार संघर्ष करते है उन्हें जरूर सफलता मिलती है ।
इसी जल्दबाजी में हम जीवन रक्षक दवाओं को भी नजदीकी मेडकल स्टोर्स से खरीद लेते हैं अभी हाल में एक सर्वे में इस बात की पुष्टि हुई है कि बाजार में बिक रही तीस प्रतिशत दवा की गुणवत्ता ठीक नहीं है या उनकी कार्यक्षमता बेअसर है इसके अलावा कई दवाएं जिनमे हानिकारक तत्वों की अधिकता होने के बावजूद उनका धडल्ले से उपयोग हो रहा है हरीपन्नी में बिकने वाली दवा कुछ समय पहले तक जनरल स्टोर्स तक मे मिल रही थी इसी तरह कुछ मलम ट्यूब जिनमे स्टेरॉइड की मात्रा अधिक होती है के प्रयोग से प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ रही है साथ ही अन्य सामान्य दवा बेअसर हो रही है दवा के मामले में बिल लेना बहुत जरूरी है जिससे कि आप निश्चित हो जाएं कि आपको कमसेकम नकली या घटिया उदपाद तो नहीं बचा गया है ।
ग्राहक के लिए जरूरी है कि जो भी खरीददारी वह करे उसका पक्का बिल जरूर ले आप बिल लें या नहीं आपसे टेक्स ले लिया जाता है इसलिए जब भी कोई सामान खरीदें उसका बिल जरूर लें अगर नहीं ले रहे हैं तो ली गई सामग्री की गुणवत्ता और उसके खराब होने पर किसी भी तरह का क्लेम आप नहीं कर सकते है ।
Hillvarta desk