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झारखंड चुनाव में क्षेत्रीय दल जेएमएम को बढ़त,भाजपा पिछड़ी, गठबंधन सरकार तय,पूरा समाचार@हिलवार्ता
झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबन्धन की सरकार बनने की सम्भवना बन गई है आज 81 सीटों पर हुए चुनाव के बाद मतगणना जारी है, 81 सदस्य संख्या वाली विधानसभा में गठबंधन को शुरुवाती बढ़त मिली है खबर है कि गठबंधन को 46 सीटों पर वहीं भाजपा को 26 सीटों पर अन्य को 7 सीटों पर आगे हैं ,देर रात तक सभी परिणामों की घोषणा की संभावना व्यक्त की जा रही है ।
पिछले लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से केंद्र में काबिज हुई भाजपा के लिए राज्यों में लगातार हार का मुह देखना पड़ रहा है,हरियाणा में बहुमत नहीं पा सकी भाजपा को जेजेपी से समर्थन लेकर सरकार बनानी पड़ी वहीं हालिया महाराष्ट्र में शिवसेना से उसकी नहीं निभ पाई वहां शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार बन गई । झारखंड में आज चुनाव नतीजे भाजपा के खिलाफ गए हैं यहां जेएमएम और कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा को लगभग सत्ता से बाहर कर दिया है ।
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रास्ट्रीय मुद्दों पर केंद्रित भाजपा के लिए यह आंकड़े विचलित करने वाले हैं समझा जा रहा है कि एनआरसी, 370,तीन तलाक जैसे संवेदनशील मुद्दों के साथ चुनावों में उतरी भाजपा को राज्यों में अपेक्षित समर्थन नहीं मिला है, बेरोजगारी,आर्थिक मोर्चे पर देश की हालत पर जनता चिंतित है वह इसका समाधान अन्य किसी मुद्दे से पहले चाहती है साफ दिखता है इन मुद्दों पर माना कि विरोध दिखता नही है लेकिन वोटर के लिए स्वास्थ्य शिक्षा रोजगार पहली प्राथमिकता है जानकर बताते हैं कि झारखंड में युवाओं को आम जन के मुद्दे ज्यादा प्रभावित कर रहे थे यही कारण है कि वहां अन्य मुद्दों पर गोलबंदी नही हुई और भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।
यही कारण है कि महंगाई बेरोजगारी सहित राज्य की अपनी जरूरत के हिसाब से बात नही करना किसी भी राजनैतिक दल को भारी पड़ सकती है जो इन चुनावों में साफ दिखाई पड़ा है। एक सर्वे के अनुसार झारखंड चुनाव में युवा वोटर्स की अहम भूमिका रही है उसने राज्य और आम जीवन से तालुक रखने वाले मुद्दों पर फोकस रख अपना मत डाला और जेएमएम को सत्ता के करीब पहुँचा दिया ।
कुल मिलाकर राज्यों में लगातार चुनाव हार रही भाजपा के लिए यह खबर पचाने लायक नहीं है ,छह साल से केंद्र की सत्ता चला रही पार्टी को संसद की तरह राज्यसभा में पूर्ण बहुमत की आशा राज्यों में बनने वाली सरकारों के ऊपर टिकी थी जो खतरे में पड़ती दिखाई देती है । वहीं दूसरी तरफ रास्ट्रीय फलक पर लंबे समय तक काबिज कांग्रेस का क्षेत्रीय दलों संग गठबधन कर सत्ता के नजदीक पहुचना पड़ रहा है,हाल तक ही कांग्रेस हमेशा फ्रंट सीटर रही है,यह देखा जा रहा कि है
इन तीन राज्यों में जिस तरह अन्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है वह भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं कहे जा सकते हैं । सोशल मीडिया को प्रचार का तगड़ा माध्यम समझने वालों को इन चुनावों के बाद सोचने को विवश तो कर ही दिया है कि जिस तरह का समर्थन भाजपा को सोशल मीडिया में दिखता है ऐसा सड़क पर नहीं है. कांग्रेस धीरे धीरे अपने रास्ट्रीय एजेंडे से स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित हो रही है । समझा जा रहा है कि अलग अलग सांस्कृतिक भौगोलिक राजनीतिक जरूरतों पर फोकस से हटना राजनेताओं को भारी पड़ सकता है । जिसे कांग्रेस भाजपा से ज्यादा समझ रही है कि अलग अलग एजेंडे के जरिये ही केंद्र में सत्ता तक पहुचा जा सकता है और कोई रास्ता दीर्घकालिक नही । हालिया चुनाव परिणामों से बहुत कुछ समझा जा सकता है । यह भी कि अभी क्षेत्रीय ताकतों को कमतर समझा जाना बहुत बड़ी भूल है ।
हिलवार्ता न्यूज डेस्क
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