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आतंकवादी अजहर मसूद और चीन का वीटो , सोशल साइट्स पर जनता , क्या करेगी सरकार समझते हैं इसे , आइये पढ़ें ।
- चीन ने फिर से आतंकवादी मसूद अजहर के मामले में वीटो कर एक और बार अपनी दादागिरी दिखाई है । बार बार हो रही चीनी प्रतिक्रिया का जबाब क्या है ? भारत चीन के खिलाफ किसी तरह की कूटनीतिक कार्यवाही से बच रहा है ? क्या कारण है कि चीन बार बार हमें नीचा दिखाने पर अड़ा है ।
- डोकलाम विवाद के बाद सोशल साइट्स पर आए दिन चीनी सामानों की खरीदारी न करने की मुहिम चलती रही लेकिन सरकार ने आधिकारिक तौर पर इस तरह की कंपेन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी अब दुबारा सरकार पर दबाव है कि कुछ नीतिगत किया जाना चाहिए, दुबारा * बायकॉट चाइनीज आइटम* कंपेन चल पड़ी है । सरकार सोशल साइट्स की कंपेन को मद्देनजर , नीतियां बनाएगी ? कि चीन को सबक मिले , सरकार चीन से वाकई दो हाथ करने की स्तिथी में है ,या चीन को सहन करते रहना उसकी मजबूरी है ।
- सोशल साइट्स पर जैसा कि इन घटनाओं के बाद से जनता में गुस्सा साफ दिखाई देता है , आम नागरिकों की हत्या में शामिल एक आतंकवादी को सजा देने में कोई देश आड़े आ रहा है, लोग पूछ रहे हैं क्यों इस देश को किसी तरह सबक नहीं सिखाया जा रहा है । चीन के मामले में सरकार दबाव में है ? इसलिए उसकी करतूतों की अनदेखी जानबूझ कर क्यों की जा रही है,
- जानकर मानते हैं कि इस तरह की घटनाओँ से सबक लेकर पहले से ही कूटनीतिक तौर पर चीन के साथ पेश आना चाहिए था , चीन से व्यापार में धीरे धीरे कटौती करके दबाव बनाया जा सकता था ,ऐसा किया जाना चाहिए था जिससे कि उसके हित प्रभावित हों ,अगर नहीं तब उसे यह बताया जाना चाहिए था कि भारत और चीन की आबादी के पोषण लिए बेहतर संबंध स्थापित करना जरूरी है । इस मामले में सरकार किंकर्तव्यविमूढ़ ही दिखती है ?
- दरसल विरोध और स्पोर्ट इतना पेचीदा है कि दोनों के व्यापारिक हित इसमे आड़े आते दिखते हैं भारत ने अपना लघु उद्योग लगभग खत्म कर दिया है जिस कारण उसकी सारी जरूरतों का सामान चीन से आ रहा है ऐसे में अगर विवाद बढ़ता है दोनो देशों को नुकसान झेलना लाजमी है ,सब न उगला जाए न निगला ।
एक नजर इन आंकड़ों पर डालते हैं कि इस तरह के व्यापारिक रिश्तों को बरकरार रखते हुए चीन को आंख दिखाना क्या आसान है ।शायद इसी कारण सरकार बैकफुट पर नजर आती है लेकिन देश के नागरिक लगातार चीन के साथ भी पकिस्तान जैसा व्यवहार की उम्मीद कर रही है सरकार समझती है चीन से कैसे निपटना होगा ऐसे हालात में जब साल 2018 में भारत का 15 नजदीकी पंद्रह देशों से सर्वाधिक व्यापार हुआ है आंकड़ा डॉलर में है आइये देखते हैं .
- United States: US$51.6 billion (16% of total Indian exports)
- United Arab Emirates: $29 billion (9%)
- China: $16.4 billion (5.1%)
Hong Kong: $13.2 billion (4.1%) - Singapore: $10.4 billion (3.2%
- United Kingdom: $9.8 billion (3%)</li
- Germany: $9 billion (2.8%)
- Bangladesh: $8.8 billion (2.7%)
- Netherlands: $8.7 billion (2.7%)
- Nepal: $7.3 billion (2.3%)
- Belgium: $6.8 billion (2.1%)
- Vietnam: $6.7 billion (2.1%)
- Malaysia: $6.5 billion (2%)
- Italy: $5.5 billion (1.7%)
- Saudi Arabia: $5.5 billion (1.7%)
- इससे साफ है कि चीन भारत का तीसरा व्यापारिक पार्टनर है अलग अलग मंचों से हम चीन के लिए कुछ कहें या समझें सरकार की ओर स कुछ खास होगा लगता नहीं , डोकलाम के बाद अगर सरकार चाहती तो इस तीसरे नंबर को नीचे लाकर चीन पर दबाव बनाया जा सकता था , लगता नही की भारत यह समझाने में सफल हुआ कि उसके साथ सामरिक मुद्दों पर चीन सकारात्मक रुख करे । साथ ही उसके हितों को चोट करने वालों का साथ न दे।
- उसे समझाया जाता कि इस तरह के मुद्दों से दोनो देशों के व्यापारिक रिश्ते खराब होने से दोनो बड़े देशों का नुकसान हो रहा है । उम्मीद की जा सकती है कि भारत कूटनीतिक स्तर पर चीन को साधने की नीति बनाएगा जिससे कमसे कम देश का नुकसान पहुचाने वालों को सबक सिखाने में कोई देश आड़े न आये ।अगर सरकार इसमे विफल होती है तब सरकार के पास चीन की गलतियों को नजर अंदाज कर बेहतर पड़ोसी के तौर पर संबंधों को और बेहतर करने का प्रयास करने के अलावा कोई चारा नही बचता है ।
- Hill varta desk