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आखिर हरीश रावत को मिल ही गया नैनीताल उधमसिंह नगर से लोकसभा का टिकट ,उतराखण्ड की कांग्रेस भाजपा की पांचों सीट तय, आइये देखते हैं क्या होने वाला है ।
पिछले 72 घंटे से आलाकमान के आगे नैनीताल लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को टिकट दिए जाने को दिल्ली बैठे आधा दर्जन समर्थक विधायको के दबाव बाद रावत टिकट पाने में कामयाब रहे हैं देर रात जारी हुई उम्मीदवारों की लिस्ट में हरीश रावत सहित अल्मोड़ा से प्रदीप टम्टा, टिहरी से प्रीतम सिंह, हरिद्वार से अंबरीश कुमार, पौड़ी से मनीष खंडूरी को लोकसभा प्रत्याशी होने की आधिकारिक घोषणा कर दी है ।
नेता विपक्ष और हरीश गुट दबाव बनाए हुए था कि टिकट उसकी झोली आये ,विदित ही है प्रदेश में कई नेता रावत को टिकट दिए जाने के खिलाफ भी थे , वावजूद इसके आलाकमान ने हरीश रावत को ही उम्मीदवार बना दिया है । कांग्रेस के अंतरविरोध को हरीश रावत किस तरह मैनेज कर पाते हैं यह देखना होगा ,पहली लड़ाई रावत को अभी अपने लोगों से ही लड़नी होगी यह निश्चित है । किच्छा सीट से विधानसभा सभा सीट हार के कारण और कई फैक्टर इस चुनाव में भी असर डाल रहे हैं , नैनीताल सीट पर एनडी तिवारी या उनके चहेते समर्थकों को ही जीत मिली है राज्य बनने के बाद रावत और एनडी के बीच के गुटबाजी समीकरण भी इस चुनाव में असर डालेंगे जानकार मानते हैं यह सीट कैसे अपना रुख बदल एक नए चेहरे को किस रूप में स्वीकार करेगी देखना दिलचस्प होगा ।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट पहली दफा लोकसभा चुनाव में उतरे हैं अध्यक्ष होने की वजह संगठन में अच्छी पकड़ दिखती है लेकिन वह भी पिछला विधानसभ चुनाव नहीं जीते है,संगठन में हैं राज्य में सरकार भी भाजपा की है उसके बाबजूद कई फेक्टर हार जीत के बीच काम कर रहे हैं ।
कालाढूंगी से विधायक भगत, पूर्व सांसद कोशियारी सहित पूर्व सांसद बलराज पासी टिकट की दौड़ में रहे हैं इस सबके चलते अभी अंदर खाने कितना प्रतिरोध होगा देखना होगा हाल फिलहाल ठीक ही दिखता है । मुकाबला दिलचस्प बनाने की क्षमता दोनो में है । वैसे एक फेक्टर और है भट्ट और हरीश का बाहरी होना उनको पसीने ज्यादा ही बहाने को मजबूर भी करेगा ।
दो तीन दिन से भाजपा यह कह कर लीड लेने की कोशिश कर ही रही थी कि आज मुख्यमंत्री ने भी इस बात का ज़िक्र किया कि कांग्रेस में टिकट को लेकर असमंजस है । बताया जा रहा है पेशोपेश में पड़े रावत समर्थक टिकट के बाद राहत महसूस कर रहे हैं ।
नैनीताल उधम सिंह नगर सीट भट्ट और रावत के लिए अपने को राजनीतिक करियर बचाये रखने की लड़ाई भी है ,इस सीट पर दोनो इन बड़े दलों की प्रतिष्ठा का भी सवाल है दोनो को चुनाव बाद दिल्ली तलब किया जाएगा ।
कुल मिलाकर इस सीट पर कई समीकरण काम कर रहे है दोनों दलों ने वोटों के ध्रुवीकरण को मद्देनजर ही अपने उम्मीदवार तय किये हैं जिसको राजनीतिक दल नकारते ही हैं । स्थानीय कई मुद्दे लंबे समय से अधूरे हैं जमरानी बांध पर दो दो बार दोनो की सरकार होने के बावजूद कुछ हुआ नही है एच एमटी घड़ी कारखाना बन्द हो गया है ,भाभर में पानी की किल्लत है ट्यूबवेल से जल का दोहन कर, खत्म हो रही जमीनों को बचा पायेगा, तराई में उद्योग धंधों में स्थानीय लोगों को रोजगार सहित बेहाल चिकित्सा ,शिक्षा को पटरी पर लाने जैसे मुद्दे प्रमुख होंगे ? या हवाई धुर्वीकरण के नारों पर चुनाव सिमट जाएगा देखना होगा ।
भाजपा कांग्रेस के अलावा बसपा, सपा, निर्दलीय,सहित भाकपा माले के उम्मीदवार अपने अपने एजेंडे के साथ दौड़ में हैं वोटरों की घेराबंदी के लिए इन पार्टियों के तरकस में कैसे कैसे तीर कमान है किन मुद्दों पर वोटर को लुभाया जाएगा एक दो दिन में सभाओं के बाद स्पष्ट हो जाएगा । पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कोशियारी ने इस सीट पर कब्जा किया था मोदी लहर के चलते उन्हें कोई परेशानी नही हुई अभी 2014 की स्तिथियाँ नहीं है सभी दलों के तरकस में सत्तापक्ष को घेरने के लिए तैयारी है, इस सीट में नित नए राजनीति दांव पेच चलने के आसार हैं , देखना होगा कौन किसको कैसे पटखनी देकर इस सीट पर कब्जा करता है ।