Uncategorized
लोकसभा चुनाव प्रचार जोरों पर, वोटर का मूड जानने के साथ,जानते हैं नोटा का हाल,आइये पढ़ते हैं।
लोकसभा 2019 की तैयारी जोरों पर है,उम्मीदवार वोटर को लुभाने उसके दर पर पहुच रहे हैं, वादे इरादे बताए जा रहे हैं वोटर है कि अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं जो भी उम्मीदवार उसकी चौखट पर आ रहा है उसे उम्मीद बधाई जा रही है, लेकिन अंदर की बात वोटर ही जानता है कि उसने मतदान के दिवस किस पाले में जाना है, लोकतंत्र की यही खूबी है आप जिस पद प्रतिष्ठा के हों पांच साल में आपको वोटर के आगे अपना रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करना ही पड़ता है, यह ऐसा वक्त है जब बीते समय का हिसाब और आने वाले समय की बातों को चर्चा में लाये बगैर गुजारा नहीं हो सकता ।
इस सब के बीच चुनावों में नोटा का भय उम्मीदवारों को बना हुआ है पिछली बार हुए विधानसभा/लोकसभा चुनावों में बड़ी संख्या में नोटा उम्मीदवारों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है, अनुमान है कि 2019 चुनावों में भी बड़ी संख्या में नोटा कई लोकसभा सीटों को प्रभावित कर सकता है 2013 के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और चुनाव आयोग की हामी ने जनता को इस अधिकार से लैस कर दिया,कि वह उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिलने पर नोटा बटन दबा सकते हैं ।
2014 में लोकसभा चुनावों में कुल 543 सीटों पर नोटा की संख्या अप्रत्याशित है,आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश मे कुल पड़े मतों का 1.1 प्रतिशत नोटा को लोगों ने अपनी पसंद बनाया, हर प्रदेश में नोटा का प्रतिशत अलग अलग रहा जहां सबसे कम नोटा प्रयोग करने वाले हरियाणा नागालैंड, पंजाब राज्य रहे, वहीं सर्वाधिक नोटा वाले प्रदेश गुजरात ,राजस्थान ,तमिलनाडु, विहार,और मेघालय रहे । आइये देखते हैं कुछ को डिटेल में ….
2014 लोकसभा चुनाव में कुल 21 दलों के उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया लेकिन वोटरों को उनमें ऐसा नहीं दिखा कि वह उनके पसन्दीदा पार्टी या कैंडिडेट हैं ना ही उनमें वह छमता है जो उनकी कसौटी में खरा उतर सके, यही कारण शायद इतनी संख्या में नोटा हुआ, देखते हैं कहाँ कितना नोटा बटन दबा ।
पांडिचेरी में कुल मतों का 3 प्रतिशत,मेघालय में 2.8प्रतिशत,गुजरात मे कुल 4 लाख 54 हजार 880 वोटर छत्तीसगढ़ में 2 लाख 24हजार 889 वोटर विहार में 5 लाख 81हजार11 वोटर ,तमिलनाडु 5 लाख 82 हजार 62,मध्यप्रदेश में 3 लाख 91 हजार 837,राजस्थान में 3 लाख 27 हजार 902,बंगाल में 5 लाख 82 हजार 276 उत्तराखंड में 48 हजार 43 वोटरों ने नोटा बटन अपनी पसंद बनाया ।
चुनाव आयोग सहित सामाजिक संगठन अधिक से अधिक चुनाव में भागीदारी करवाने के लिए जुटा रहता है, लोग मतदान करने धीरे धीरे निकल भी रहे हैं, जिसमें देखा जा रहा है कि बढ़ा हुआ प्रतिशत अपने इस विशेषाधिकार का ज्यादा उपयोग करने लगा है, माना जा रहा है कि राजनीतिक दलों के वादे इरादे उन्हें नहीं लुभा पा रहे हैं ,राजनीति के प्रारूप से नाखुश वोटर वहां पहुच अपना निर्णय नोटा के रूप में देकर चुनाव में खुद को सम्मिलित कर रहा है । देखना होगा कि 2014 की तरह इस बार कितना नोटा बटन दबता है यह तय है हर सीट पर नोटा उम्मीदवार के जीत हार को प्रभावित जरूर करेगा ।
एक अपील .हिलवार्ता न्यूज की ओर से …
अधिक से अधिक संख्या में मतदान स्थल पर जाकर अपने मत का प्रयोग करें अपनी इच्छानुसार अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए आप हम स्वतंत्र हैं कोई भी फार्मेट आप चुनें मगर बूथ तक जरूर जाएं, यह मौका हमें पांच साल में मिलता है याद रखें ।
Hillvarta.com
newsdesk
@election special