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क्या होती है चुनाव आचार संहिता । कैसे बदलती है देश की तश्वीर चुनाव में आइये देखते हैं ।
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- आचार संहिता यू तो समस्त जगत के प्राणियों पर समान रूप से हर समय लागू होती है ब्रह्मांड में मनुष्य को छोड़ अधिकतर इसका पालन करते हैं लेकिन मनुष्य जिसे सबसे सभ्य और उन्नत समझा जाता है वही नियमों को ताक में रखता है मान्य तय नियमों में सेंध अपने निजी फायदे के लिए करने लगता है वही इनका पालन सबसे कम करता है इसी कारण कुछ शख्त नियम बने जिसमे कुछ की जिम्मेदारी परिवार समाज और कुछेक की विशेष सरकारी तंत्र को दी गई है ।
- जिम्मेदार तंत्र भी किसी प्रकार से ज्यादातर नागरिक के व्यबहार में गड़बड़ी की अनदेखी करता है वही कभी पूरे मनोयोग से नियम के विरुद्ध कार्य करने पर सक्रियता से आपके कान ऐंठ लेता है और विधिसम्मत कार्यवाही अविलंब कर देता है यही एक समय हमारे देश मे आचार संहिता का है कोई भी समझ सकता है कि सब ठीक चल रहा है हर अधिकारी कर्मचारी चुस्त दुरुस्त है जनता भी संयत व्यवहार में है।
- जी हां चुनाव आचार संहिता ही एक मात्र समय होता है जब संविधान द्वारा सुझाये नैतिक आधार पर तय किये नियमों का कड़ाई से पालन होता है यानी तंत्र बाध्य है कि इस दौरान किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दास्त नहीं होगी और यदि कोई व्यक्ति या संस्था नियम विरुद्ध कार्य करते पकड़ लिया जाता है ,तब उस नियम विरुद्ध कार्य हेतु प्रदत सजा का हकदार वह होता है जिसकी तामीली तुरंत होती है यही इस संहिता की खूबी है ।
- चुनाव आचार संहिता का मतलब चुनाव शुरू होने की घोषणा से लेकर चुनाव समाप्त होने की तिथि तक चुनाव के लिए बनाए गए नियमो का पालन सुनिश्चित करना है हर उम्मीदवार को जो चुनाव लड़ रहा है को इनका पालन आवश्यकीय है इसकी अवहेलना पर उसकी उम्मीदवारी रोकी जा सकती है जिसका अधिकार भारत के चुनाव आयोग को दिया गया है दोष गहरा होने पर एफआईआर और जेल तक की सजा का प्रावधान इन नियमों में मौजूद है ।
- भारत सरकार और राज्यों के कर्मचारी इस अवधि में सीधे तौर पर आयोग के कर्मचारी के रूप में काम करने लगते हैं अधिकारी कर्मचारियों को आयोग के दिशा निर्देशों का पालन करना बाध्यकारी होता है । जिले का कलेक्टर अपने जिले में जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में कार्य करने लगते हैं जिन्हें पूरी चुनाव प्रकिर्या को समपन्न करने के लिए अन्य अधिकारियों कर्मचारियों को कार्य संपादन की जिम्मेदारी देकर चुनाव सम्पन्न कराना होता है । जिलानिर्वाचन की जबाबदेही राज्य निर्वाचन और राज्य निर्वाचन की जबाबदेही मुख्य निर्वाचन अधिकारी नई दिल्ली को सीधे तौर पर होती है ।
- राजनीतिक दलों के क्रियाकलापों और आचरण पर निगरानी के लिए पर्यवेक्षक बनाये जाते हैं जो रिपोटिंग कर प्रकिर्या पर निगरानी रखते हैं उनको जिन नियमो का पालन कराना होता है आइये देखते हैं ……
- सामान्य नियम ..#कोई भी राजनीतिक पार्टी जातीय ,धार्मिक भाषाई तौर पर किसी प्रकार की टिप्पणी ना करे जिससे समुदायों के बीच मतभेद /घृणा बढ़े ।,#व्यक्तिगत आरोप /प्रत्यारोप ना हों केवल कार्यक्रमों की आलोचना तक सीमित रहें ।# धाार्मिक स्थलों से चुनाव प्रचार नही कर सकते हैं ,# मतदाताओं को किसी तरह का प्रलोभन या धमकी देकर मत देने को नही कह सकते ।#किसी भी निजी और सार्वजनिक स्थान पर बिना अनुमति प्रचार प्रसार की मनाही है ,# किसी दल के जुलूस मेंं बाधा नही पहुचा सकते
- सभाओं के नियम ….#सभा स्थल की पूर्व सूचना पुलिस आला अधिकारियों को देना जरूरी ,#अनापत्ति लेना अनिवार्य #लाउडस्पीकर के प्रयोग की अनुमति पहले लेनी होगी ,#किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना पर पुलिस का सहयोग जरूरी ।
- जलूस सम्बन्धी नियम …#जलूस का समय/मार्ग का जिक्र शुरू होने का स्थान पुलिस को बताएं ,#यातायात बाधित ना हो ,#जुलूस सड़क की दायीं तरफ हो ,#किसी भी प्रकार की सामग्री का इस्तेमाल वर्जित जिससे किसी प्रकार की घटना घटित हो ,।
- मतदान संबंधी नियम ….# अधिकृत कार्यकर्ताओं के पास दल बिल्ला /पहचान पत्र मिले ,#मतदाताओं को केवल सादी सफेद पर्ची जिसमे अभ्यर्थी/दल का नाम न हो ,#मतदान दिवस के 24 घण्टे पहले तक किसी प्रकार की नशीली वस्तु देना अपराध है ,,#मतदान केंद्र पर भीड़ इकट्ठा न हो ,#मतदान दिवस पर वाहन चलाने का परमिट होना अनिवार्य ।
- सत्ता धारी दल के लिए नियम …#मंत्री मंडल का कोई सदस्य सरकारी दौरे पर होने पर प्रचार नहीं कर सकता है ,# इस दौरान सरकारी मशीनरी और कर्मचारियों से काम लेना चाहिए #सरकारी वाहन विमान आदि प्रचार के लिए उपयोग नहीं लेना चाहिए ,#हेलीपेड पर एकाधिकार न प्रदर्शित करें #सरकारी विश्रामगृह का उपयोग पर एकाधिकार वर्जित, इनका उपयोग प्रचार के लिए सर्वथा वर्जित, केबिनेट की बैठक वर्जित,#स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए आयोग की अनुमति जरूरी ।#किसी भी प्रकार की घोषणाएं नही की जा सकती हैं #शिलान्यास आश्वासन/ परियोजनाओं योजनाओं का लोकार्पण वर्जित ।
- लोक सेवकों के लिए नियम …#कोई कर्मचारी/अधिकारी किसी दल का एजेंट नही हो सकता ,#अधिकारियों को मंत्री द्वारा उसके निजी आवास पर बुलाये जाने पर भी नहीं जाना है अगर वह प्रचार में है,#चुनाव कार्य से जाने वाले मंत्रीयों के साथ जाना संहिता का उल्लंघन है,#केवल चुनाव सभा मे ड्यूटी पर शामिल अन्य सभा मे उपस्थित होना वर्जित,#दलों को स्थान आदि देने ने पक्षपात भेदभाव नहीं करना है ,।
- लाउडस्पीकर के लिए भी समय तय है ग्रामीण इलाकों में प्रातः 6 से रात्रि 11 बजे शहरी इलाके में प्रातः 6 से रात्रि 10 तक प्रचार की अनुमति है ।
- अगर आपको चुनाव के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी नजर आती है आपको शिकायत करने का अधिकार आयोग ने दिया है साफ सुथरा चुनाव हो यह सामुहिक जिम्मेदारी है अपने इर्द गिर्द नजर रखना सभी नागरिकों का कर्तव्य भी इसलिए सजग रहिये सजग करिए हिल वार्ता टीम आपकी इस मुहिम में साथ होगी ।
- चुनाव आयोग ने गड़बड़ी रोकने के लिए एक एप बनाया है इसको विजिल एप नाम दिया है इसको प्ले स्टोर से डाउनलोड कीजिये और भेज दीजिए जहां गड़बड़ हो रहा उसकी वीडियो या अन्य साक्ष्य आयोग इस पर 100 मिनेट में कार्यवाही का भरोसा देता है 1950 नंबर पर भी फ़ोन कर शिकायत दर्ज की जा सकती है ।
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