उत्तराखण्ड
चंपावत . खेलते हुए बच्चे ने नाक में घुसा ली बाल,ईएनटी सर्जन डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने बचाई जान । कहा घबराएं नहीं,स्वयं जोखिम न लें,उचित चिकित्सकीय परामर्श जरूरी खबर@हिल वार्ता
चंपावत .छोटे बच्चे अक्सर खेलते वक्त मुंह में सिक्के आदि डाल देते हैं कभी कभी नाक में गोली नुमा या कोई दाना घुसा लेते हैं जिस वजह माता पिता का घबराना लाजमी है । आधुनिक चिकित्सा ने नई तकनीक जिसे इंडोस्कोपी कहा जाता है से इस तरह की समस्या से निजात पाया जा सकता है ।
इंडोस्कोपी द्वारा बच्चे के नाक से निकाली गई वस्तुएं ।
चंपावत जिला अस्पताल में हालिया एक बच्चा जिसने कोई मुंगफली के दाने जैसा कोई ठोस अवयव खेलने के दौरान अपने नाक में घुसा लिया । जिसके बाद बच्चा रोने लगा पहले माता पिता को समझ नहीं आया कि आखिर माजरा क्या है बच्चा बार बार अपनी नाक में उंगली डालने की कोशिश कर रहा था आनन फानन में बच्चे को जिला अस्पताल ले जाया गया जहां नाक कान गला विशेषज्ञ डाक्टर नरेंद्र सिंह ने बच्चे का परीक्षण किया ।
डॉक्टर सिंह ने परीक्षण में पाया कि बच्चे के नाक के अंदर सख्त क्रिस्टल नुमा कुछ घुसा है उन्होंने जल्द ही इंडोस्कोप और अन्य उपकरणों के माध्यम से उक्त क्रिस्टल को बाहर निकाला तब जाकर माता पिता ने राहत की सांस ली ।
डॉक्टर नरेंद्र सिंह कहते हैं कि इस तरह की घटनाएं आम है पेनिक होने की जरूरत नहीं है । हां अगर लोहे की बनी वस्तुएं बैटरी सेल और चुभने वाली वस्तु है तो सावधानी बरतनी जरूरी है । डॉक्टर सिंह कहते हैं कि माता पिता की घबराहट से बच्चा और अधिक असहज हो जाता है लिहाजा धैर्य रखकर समझदारी से काम करने की जरूरत होती है किसी भी तरह की जल्दबाजी मरीज के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है लिहाजा बच्चे को शांत रखने की कोशिश करनी चाहिए ।
यहां यह ध्यान देने की बात है कि अगर बच्चे के नाक में कुछ चला भी जाए तो ऐसा नहीं है कि बच्चा सांस ही नहीं ले पाएगा । डॉक्टर सिंह ने बताया कि अगर किसी बच्चे के नाक में कुछ चला गया और स्वयं से किसी तरह से उसे निकालने की कोशिश की जाए तो वह खतरनाक हो सकता है । जरूरी है कि मरीज को योग्य चिकित्सक के पास ले जाया जाए जहां आवश्यक उपकरण और प्रशिक्षित स्टाफ की देखरेख में ही इलाज किया जाए ।
डॉक्टर सिंह कहते हैं कभी कभी माता पिता खुद की हरकत की वजह जोर आजमाइश में उक्त अपशिष्ट को निकालने के चक्कर में श्वसन नली तक धकेल देते हैं जो खतरनाक है । खाने की नली में किसी तरह का सिक्का या अपशिष्ट जाने से उतनी दिक्कत नहीं होती है जितना कि श्वसन नली में इसलिए यह ध्यान देना आवश्यक है कि नाक में गया पदार्थ श्वसन नली में नहीं जाना चाहिए ।
डॉक्टर के दूरबीन से ऐसे अपशिष्ट को निकालना आसान है अगर मामला गंभीर है ऐसे मरीज को हायर सेंटर रेफर किया जाना आवश्यक होता है अन्यथा मरीज के फेफड़ों को नुकसान हो सकता है ।
हाल ही जिला चिकित्सालय में इस तरह के दो केस पहुंचे जिन्हें ई एन टी सर्जन डॉक्टर नरेंद्र सिंह की टीम द्वारा उचित उपचार के बाद घर भेज दिया गया । डॉक्टर सिंह कहते हैं कि लोगों को स्वत उपचार से बचना चाहिए अपने नजदीकी अस्पताल में ही उचित उपचार करवाना चाहिए ।
हिलवार्ता मेडिकल डेस्क
की रिपोर्ट ।
