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उत्तराखण्ड

CDS जनरल बिपिन रावत और उनकी धर्मपत्नी मधुलिका रावत की मौत से उत्तराखंड स्तब्ध, लेफ्टीनेंट जनरल पिता के कदमों पर चलकर सेना में 40 साल का लंबा सफर कैसे किया तय आइये पढ़िए@हिलवार्ता

आज शाम उत्तराखंड और देश के लिए बुरी खबर सामने आई । दोपहर एक सैन्य प्रोग्राम ने शामिल होने गए उत्तराखंड के मूल निवासी चीफ आफ द डिफेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन  रावत सपत्नीक अपने मातहत सहयोगी अफसर सैनिकों के साथ सुदूर तमिलनाडु गए थे जहाँ सुलूर हवाई बेस से उनके हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी । प्राप्त जानकारी के अनुसार 94 किमी दूर कन्नूर के जंगलों में वायु सेना का यह होलिकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हो गया ।

शाम 4 बजे के आसपास घटना स्थल से फ़ोटो और दुर्घटना ग्रस्त होलिकॉप्टर की फ़ोटो वायरल हो गई । घटना को देखकर पहले ही एहसास हो गया था कि हालात ठीक नहीं हैं । पहले 9  फिर 11 फिर अंततः 13 लोगों की मौत की पुष्टि हुई । अंत मे बताया गया कि सीडीएस रावत सपत्नीक इस हादसे में चल बसे । उनकी मौत की खबर से उत्तराखंड में शोक की लहर है शोशल मीडिया में  अपने अपने तरीके से जनरल को श्रद्धांजली देने का शिलशिला जारी है ।

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जनरल बिपिन रावत भारत के पहले सीडीएस बने । इससे पहले वह भारत के 27वें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ रहे । जनरल बिपिन रावत 1 जनवरी 2020 को भारत के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ बने । रावत इससे पूर्व 31 दिसम्बर 2016 से 31 दिसम्बर 2019 तक थल सेना अध्यक्ष रहे । जनरल रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को हुआ आज 61 वर्ष की उम्र में उनकी हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्य हुई ।

बिपिन रावत पौड़ी गढ़वाल के सैण (द्वारीखाल)के मूल निवासी थे । उनके पिता लक्षमण सिंह रावत भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रहे । दो साल पहले जनरल बिपिन रावत अपने ममकोट थाती गांव हर्षिल और नेलांग आए थे ।

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बिपिन रावत ने वर्ष 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की । आईएमए देहरादून में उन्हें सोर्ड आफ आनर से सम्मानित किया गया । देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से रावत ने रक्षा प्रबंधन एवम मद्रास विश्वविद्यालय से स्ट्रेटजिक और डिफेंस स्टडीज में एमफिल किया जबकि 2011 में जन. रावत ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से सैन्य मीडिया में पीचडी की उपाधि प्राप्त की जनरल बिपिन रावत को 1978 में सेना की गोरखा रायफल की 5वीं बटालियन में कमीशन प्राप्त हुआ ।

कई सैन्य पुरुस्कारों से सुसज्जित जनरल रावत को कई क्षेत्रों में सेना की अगुवाई कर चुके थे । उन्होंने 40 वर्ष भारतीय सेना के लिए सेवा दी । अंततः उनके लंबे अनुभव को देखते हुए देश के रणनीतिकारों में शामिल कर सीडीएस की पदवी पर पदारूढ़ किया गया था ।

आज तमिलनाडु के कुन्नूर में उत्तराखंड के इस जाबांज के साथ ही उनकी पत्नी और 11 अन्य सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी । उत्तराखंड में उनके निधन पर गहरा शोक व्यापत है देश भर में उनके निधन पर संवेदनाएं आना जारी हैं । इधर उत्तराखंड में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है ।

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हालांकि सेना ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं । पूरा मामला इसकी जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा । उत्तराखंड के लोग जल्द इस मामले की जांच की तह तक जाकर जानना चाहेंगे कि आखिर उच्च तकनीक और भरोसेमंद समझे जाने वाले इस होलिकॉप्टर में ऐसा क्या हुआ कि उत्तराखंड का  जांबाज सपत्नीक अपने आफिस स्टाफ सहित इस हादसे का शिकार हो गए ।

हिलवार्ता की ओर से जनरल रावत सहित सभी मृतकों को श्रद्धांजलि ।

हिलवार्ता न्यूज डेस्क 

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