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उत्तराखण्ड

Uttarakhand : राज्य में Road Accidents में आपदा से अधिक मौतें, Primary Health System दुरुस्त करना जरूरी,Trauma Centers की कमी,मौतों की बड़ी वजह, आगे और भी @हिलवार्ता

देहरादून : उत्तराखंड में हो रही दुर्घटनाओं और उनके कारणों पर एक वर्चुअल बैठक का आयोजन हुआ है । बैठक में एडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल, एम्स ट्रामा सेंटर डॉक्टर मधुर उनियाल और सेव लाइफ फाउंडेशन के संस्थापक पीयूष तिवारी ने प्रतिभाग किया । वर्चुअल बैठक में उत्तराखंड में हालिया सड़क दुर्घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त की गई ।

वक्ताओं ने कहा कि राज्य में सड़क दुर्घटनाओं का औसत राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है जिसका कारण समय पर प्राथमिक चिकित्सा की कमी होना है । सहभागियों ने इस बात पर जोर दिया कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का होना नितांत आवश्यक है । प्रत्येक जिले के ब्लॉक स्तर पर कमसेकम एक ट्रामा सेंटर हो तो इन आंकड़ों में भारी बदलाव हो सकता है ।

एक्सपर्ट्स ने बताया कि उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं मे प्रति 100 एक्सीडेंट्स मे मरने वालों की संख्या का औसत राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है । देश में 100 सड़क दुर्घटनाओं में औसतन 26 लोगों की मौत होती है, जबकि उत्तराखंड में यह संख्या 60 से 70 प्रतिशत के आसपास है । वक्ताओं का कहना है कि किसी भी हादसे के पीछे सिर्फ ड्राइवर को दोषी मान लेने की मानसिकता ठीक नही है । दुर्घटनाओं के कई पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है । एक्सपर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि साइंटिफिक इंवेस्टिगेशन करके और सेफ सिस्टम एप्रोच अपनाकर हादसों और उनसे होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।

एम्स ऋषिकेश के असिस्टेंट प्रोफेसर और ट्रामा सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में आम तौर पर वे लोग मारे जाते हैं, जो अपनी प्रोडक्टिव ऐज में होते हैं। ऐसे में ये मौतें न सिर्फ उनके परिवारों बल्कि पूरे समाज को कहीं न कहीं नुकसान पहुंचाती हैं। आमतौर पर यह धारणा है कि उत्तराखंड में आपदाओं में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं, राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में भी बड़ी संख्या में मृत्यु होती हैं। आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रोडक्टिव ऐज में होने वाली मौतों की संख्या में उत्तराखंड ऊपर है और सड़क दुर्घटनाएं इसका एक बड़ा कारण हैं ।

डॉ. उनियाल ने एम्स ऋषिकेश और एम्स दिल्ली के अपने अनुभवों के आधार पर बताया कि दिल्ली में दुर्घटनाओं के शिकार नॉन रिस्पांडस केस बड़ी संख्या में आते हैं। ये वे केस होते हैं, जिन्हें एडवांस हेल्थ केयर की जरूरत होती है। लेकिन, ऋषिकेश में ऐसे केस नहीं आते। डॉ. उनियाल कहते हैं कि दरअसल मौके पर या उसके आसपास चिकित्सा व्यवस्था न होने के कारण इस तरह के घायलों की हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही मौत हो जाती है। यदि दुर्घटनास्थल के आसपास प्राइमरी ट्रामा सेंटर्स हों और ऐसे गंभीर घायलों को जल्द से जल्द लेवल वन ट्रामा सेंटर्स तक पहुंचने की व्यवस्था हो तो उत्तराखंड में दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है।

ज्ञात रहे कि उत्तराखंड मे सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति अत्यंत चिन्ताजनक है। पिछले 5 वर्षों में राज्य में करीब 7 हजार सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं और इनमें लगभग 5 हजार लोगों की मौत होने के साथ ही इतने ही लोग घायल भी हुए हैं। उन्होंने हाल के दिनों में हुई दुर्घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि यदि प्राथमिक हेल्थ केयर सिस्टम में सुधार किया जाए तो राज्य में दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या कम की जा सकती है।

एडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल का कहना है कि राज्य में अधिकतर क्षेत्र पर्वतीय है जहां प्राथमिक चिकित्सा की स्थिति में सुधार की जरूरत है । 20 से 25 किमी की परिधि में ट्रामा सेंटर खोले जाने के प्रयास किये जाने चाहिए जिससे सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों को कम किया जा सके ।

हिलवार्ता न्यूज डेस्क 

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