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उत्तराखण्ड

अपर सचिव,संयुक्त सचिव ने कहा पहले का आदेश गलत, आइये पढ़ते है उस आदेश को जिसमें कहा गया था कि प्रोन्नति पाए प्रोफेसरों के पपत्र गलत हुए तो निदेशक जिम्मेदार होंगे, पूरा पढ़िए @हिलवार्ता

उत्तराखंड में प्रशासनिक अधिकारी कितने जिम्मेदार है इसका बड़ा उदाहरण आज सामने आया है सचिव उच्च शिक्षा ने आज अपने पुराने आदेश को आठ दिन बाद संशोधित किया है मामला उच्च शिक्षा विभाग का है 11 जून को 139 एसोसिएट प्रोफेसरों को प्रोफेसर का वेतनमान देने की घोषणा हुई थी जिसमे बिंदु संख्या तीन में यह कहा गया था कि जिन 139 एसो0 प्रोफे0 को प्रोन्नत वेतनमान दिया जा रहा है उनकी अर्हता की जांच उच्च शिक्षा निदेशक करेंगे अगर किसी प्रकार की गड़बड़ी हुई तो जिम्मेदारी उच्च शिक्षा निदेशक की होगी ।
इस पत्र में एक बात गौर करने वाली है कि कैसे इन 139 एसो0 को प्रोफेसर का वेतनमान देने की संस्तुति सरकार ने अपने विवेक पर कैसे कर दी? सवाल यह है कि प्रोन्नत वेतनमान/पदनाम पा रहे प्रोफेसरों की लिस्ट तैयार करने से पहले शासन ने उच्च शिक्षा निदेशालय से लिस्ट मांगी थी ? यह ज्ञात हु है कि लिस्ट सविता मोहन जब कार्यकारी निदेशक थी तब बन गई थी स्क्रीनिंग कमेटी ने नाम फाइनल कर लिए थे मतलब की उच्चधिकारियों को पता ही नहीं चला,बिना सोचे समझे सारी जिम्मेदारी निदेशक पर डाल दी, जबकि सर्वविदित है किसी भी नियुक्ति में गलत तथ्य पाए जाने पर सपथ पत्र में नियुक्ति पाए कार्मिक/ अधिकारी की होती है। लेकिन यहां निदेशक को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? खैर आदेश पर जग हसाई बाद शासन को अपनी गलती का एहसास हुआ कि गलती हुई है जिसका आज सुधार किया गया है ।

अपर सचिव श्री इकबाल अहमद ने आज एक पत्र जारी कर 11 जून को विभाग द्वारा जारी शासनादेश का संशोधित आदेश जारी किया है,संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा के हस्ताक्षर से जारी आदेश में अपर सचिव ने कहा है कि आदेशसंख्या 762(1)/xxiv(4)/2019-01(09)/2016TC में आंशिक बदलाव किया गया है ।
संशोधित आदेश में सचिव ने कहा है कि 11 जून के इस आदेश में उल्लिखित प्रस्तर 3 को पूर्ण रूप से विलोपित किया जाता है. इसका मतलब हुआ कि उच्च शिक्षा निदेशक को इस जिम्मेदारी से मुक्त किया गया है कि प्रोन्नत प्रोफेसर वेतनमान प्राप्त किये प्रोफेसर की अर्हता में कहीं कुछ गड़बड़ी पाई जाती है उसके लिए निदेशक को जिम्मेदार माना जायेगा आइये पढ़ते हैं पहले क्या कहा था.

उक्त स्वीकृति यानी एसोसिएट प्रोफेसर को प्रोफेसर का वेतनमान इस शर्त पर प्रदान की जाती है कि निदेशक उच्च शिक्षा पुनः यह सुनिश्चित कर लें कि सम्बंधित सेवक द्वारा वांछित वेतनमान हेतु विद्यमान नियमों/शासनादेशों के आलोक में समस्त अर्हताएं पूर्ण कर ली गई हों। इसमे किसी प्रकार की भिन्नता/विसंगति पाए जाने पर इसका समस्त उत्तरदायित्व निदेशक उच्च शिक्षा का होगा।
खैर देर आये दुरुस्त आये आज के शासनादेश के बाद उच्च शिक्षा निदेशालय को बड़ी राहत मिली होगी ।
हिलवार्ता न्यूज डेस्क
@hillvarta.com

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