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Uttrakhand election update : बड़ी संख्या में चुनाव में कूदे बागी, निर्दलीय भरा पर्चा, उलटफेर करने में सक्षम, कुमाऊँ में कितना है असर जानते हैं @हिलवार्ता

कल  उत्तराखंड में नामांकन का आखिरी दिन था । लगभग हर विधानसभा सीट पर सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस को उन्ही के समर्थकों की नाराजगी से रूबरू होना पड़ा है । कुमाऊँ की अधिकांश सीटों पर दोनों दलों के बागियों की संख्या से राजनीतिक हलकों में बेचैनी है । राज्य में भाजपा कांग्रेस और आप मे कई बार उम्मीदवार बदले जाना इस बात का प्रमाण है कि उम्मीदवारी तय करने के लिए दलों को किस कदर आफत झेलनी पड़ी है । इधर आज नामांकन के बाद स्पष्ट हो गया कि भाजपा और कांग्रेस को सबसे बड़ी चुनौती उनके घर से है ।

आइये कुमाऊँ की विधानसभा सीटों पर एक नजर डालते है कि कहां कौन पार्टियों के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ बगावत में है ।

सुरुवात हलद्वानी से करते हैं यहां हालांकि भाजपा कांग्रेस में टिकट को लेकर असमंजस बना रहा अंततः कांग्रेस ने सुमित ह्रदयेश और भाजपा ने मेयर जोगेंद्र सिंह रौतेला पर भरोसा जताया । हालांकि इस सीट पर कई दावेदारों ने सोसल मीडिया में अपनी नाराजगी जाहिर की लेकिन किसी तरह की बगावत यहां नही हुई ।

किच्छा में भाजपा के अजय तिवारी बागी हैं तो कांग्रेस के हरीश पनेरू । जबकि लालकुआं में भाजपा के पवन चौहान भाजपा के खिलाफ ताल ठोक चुके हैं उन्होंने आज निर्दलीय के रूप में पर्चा दाखिल किया है एक और उम्मीदार यहाँ बागी है कुंदन सिंह मेहता ।

वहीं कांग्रेस की संध्या डालाकोटी ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर कांग्रेस चुनाव अभियान के प्रमुख को चुनोती दे दी है ।  जबकि पूर्व मंत्री दुर्गापाल और हरेंद्र बोरा को मना लिया गया है ।

कालाढूंगी मे भाजपा के बंशीधर भगत की राह में उन्ही की पार्टी के गजराज सिंह बिष्ट खड़े हो गए हैं । उन्होंने यहां निर्दलीय पर्चा दाखिल किया है । रामनगर में कांग्रेस के ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी पार्टी प्रत्याशी डॉ महेंद्र पाल के सामने निर्दलीय चुनाव लड़ने की ठान चुके हैं । सितारगंज में कांग्रेस के नारायण पाल बसपा का दामन थाम चुनाव में कूद गए हैं ।

अलमोड़ा में भाजपा के बागी रघुनाथ सिंह चौहान और डीसीबी अध्यक्ष आज पार्टी प्रतियाशी के साथ हो गए हैं बहरहाल यहां कैलाश शर्मा ने राहत की सांस ली है । जागेश्वर में कांग्रेस से भाजपा में आए मोहन सिंह मेहरा के खिलाफ पूर्व प्रत्याशी सुभाष पांडे के समर्थकों ने खूब बबाल काटा लेकिन सुभाष ने पर्चा दाखिल नहीं किया ।

रानीखेत में भाजपा के प्रमोद नैनवाल को टिकट दिए जाने के बाद असंतोष हैं । यहां दीपक करगेती ने निर्दलीय पर्चा भरा है ।

वहीं चंपावत में भाजपा के कैलाश गहतोड़ी के खिलाफ भाजपा का एक गुट एकजुट हैं । धारचूला में भाजपा में असंतोष की खबरें आती रही है । यहां जिलापंचायत सदस्य जीवन सिंह कन्याल निर्दलीय मैदान में डटे हैं । रुद्रपुर में भाजपा के राजकुमार ठुकराल ने भी पार्टी छोड़ निर्दलीय पर्चा दाखिल कर लिया है ।गदरपुर में भाजपा के रविन्द्र बजाज पार्टी छोड़ चुके हैं यहां अरविंद पांडे को पार्टी के भीतर से चुनोती मिल रही है । द्वाराहाट में पूर्व ब्लॉक प्रमुख कैलाश भट्ट भाजपा के लिए मुसीबत बन रहे हैं । वहीं नैनीताल में सरिता आर्य का हेम आर्य और मुख्यमंत्री के करीबी पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश आर्य, मोहन पाल  मुश्किल पैदा कर सकते हैं । हेम आर्य ने आज आप जॉइन कर ली है ।  बाजपुर में सुनीता टम्टा बाजवा यशपाल आर्य के लिए राह में बाधा बनी थी उन्होंने आम आदमी पार्टी का हाथ थाम लिया है ।
कपकोट में भाजपा प्रतियाशी सुरेश गड़िया की राह पूर्व विधायक सुरेश सिंह गड़िया रोक रहे हैं । इसी तरह गंगोलीहाट में कांग्रेस उम्मीदवार खजान गुड्डू के खिलाफ पूर्व विधायक निर्दलीय ताल ठोक चुके हैं वहीं भाजपा की पूर्व विधायक मीना गंगोला भी अधिकृत उम्मीदवार की राह का रोड़ा बन रही हैं ।

भीमताल में भाजपा उम्मीदवार राम सिंह के खिलाफ मनोज साह और लाखन सिंह नेगी ने निर्दलीय लड़ने का एलान कर पर्चा दाखिल कर दिया है । काशीपुर में भाजपा उम्मीदवार चीमा के खिलाफ उन्ही की पार्टी की मेयर उषा और वरिष्ठ भाजपा नेता राम मेहरोत्रा समस्या लेकर खड़े हैं ।
जबकि डीडीहाट विधानसभा में विशन सिंह चुफाल के लिए किशन भंडारी का विरोध भारी है ।
अलमोड़ा जिले की सोमेश्वर विधानसभा सीट पर किसी तरह के भीतरघात की संभावना नहीं है यहाँ कांग्रेस के राजेन्द्र बाराकोटी का सीधा मुकाबला मंत्री रेखा आर्य से है ।

बागेश्वर में कांग्रेस के बागी भैरव नाथ ने भी निर्दलीय पर्चा भरा है । जबकि द्वाराहाट में भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ पूर्व प्रमुख कैलाश भट्ट खड़े हो गए हैं ।

कुल मिलाकर आज  की परीस्तिथि में हर सीट पर घमासान जारी है । अधिकतर बागी निर्दलीय मैदान में आ चुके हैं । साथ ही बड़े नेताओं को भेजकर बागियों को मानने की कोशिशें भी चल रही हैं । 31 जनवरी नाम वापसी की अंतिम तिथि है । ऐसे में देखना होगा कि कितने बागी वापस आते हैं और कितने मैदान में रहते हैं । इतना तय है कि इस बार अगर बागी मैदान में डटे रहे तो चुनावों के परिणाम पर बाद उलटफेर देखा जा सकता है ।

हिलवार्ता न्यूज डेस्क 

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