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Uttarakhand :1960 में पिथौरागढ़ जिले में शामिल नामिक के ग्रामीणों की मांग,पिथौरागढ़ जिले से बागेश्वर जिले में शामिल करो सरकार अब बहुत हुआ,आइए विस्तार से पढ़ें @हिलवार्ता

मुनस्यारी। पिथौरागढ़ तथा बागेश्वर जिले की सीमा में बसे ग्राम पंचायत नामिक ने अपनी उपेक्षा से आहत होकर पिथौरागढ़ जिले से बगावत कर बागेश्वर में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है। कहा कि अगली ग्राम पंचायत की खुली बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पास कर राज्य सरकार को भेजा जाएगा। सड़क तथा शिक्षा की समस्याओं का निदान नहीं होने पर गांव में ही भूख हड़ताल सत्याग्रह करने की चेतावनी भी दी।


जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने बताया कि लोग परेशान हैं कोई भी सरकारी इमदाद मदद नहीं मिलने से आजिज लोगों ने नामिक  में आयोजित चौपाल में ग्रामीणों ने खुलकर मन की भड़ास निकाली। चौपाल में ग्रामीणों ने खुलकर बोला कि 24 फरवरी सन् 1960 पिथौरागढ़ जिले की स्थापना के वक्त इस गांव को अल्मोड़ा से हटाकर पिथौरागढ़ में शामिल कर दिया गया। तभी से उसके बाद सौतेला व्यवहार शुरू हो गया।

आज विकास के लिए तड़प रहे इस गांव की हर कहानी इसे बयां कर रही है। ग्रामीणों ने कहा कि आजादी के 75 साल में नामिक गांव में सरकार की एक भी सुविधा नहीं पहुंच पाई। उन्होंने कहा कि हम आज तक आशा करते थे कि हमारा मूल जनपद पिथौरागढ़ हमारे साथ न्याय करेगा, लेकिन अब मन भर चुका है।

उन्होंने कहा कि थल – मुनस्यारी मोटर मार्ग के बला से 27 किमी की कठिन पैदल यात्रा के बाद नामिक गांव आता है। जबकि बागेश्वर जिले में शामा – गोगिना मोटर मार्ग में गोगिना से 6 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करने के बाद नामिक गांव आता है।
ग्राम प्रधान तुलसी जैम्याल ने कहा कि होकरा से नामिक के लिए बन रहे मोटर मार्ग के निर्माण की कछुआ चाल के कारण बीस साल बाद भी मोटर मार्ग की सुविधा उपलब्ध होना संभव नहीं लग रहा है।
उन्होंने कहा कि गोगिना से मोटर मार्ग दो भाग में बनना है। एक पिथौरागढ़ तथा एक बागेश्वर जिले में। पिथौरागढ़ में तो बजट तथा निविदा दोनों स्वीकृत हो गई है। बागेश्वर जिले में फाइल पता नहीं कहां धूल खा रही है।

उन्होंने कहा कि पिथौरागढ़ वाले अपना नहीं मानते, बागेश्वर वाले दूसरे जिले का मानते है। इस स्थिति में नामिक वाले जाए तो जाए कहां।
चौपाल में ग्रामीणों ने कहा कि वर्ष 2015 उप स्वास्थ्य केन्द्र का बोर्ड टांकने के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक देहरादून नामिक तो आएं, लेकिन सात साल बाद भी उप स्वास्थ्य केन्द्र में न एएनएम आई न ही कोई फार्मासिस्ट। राजकीय प्राथमिक विद्यालय में एक ही शिक्षक तैनात है। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में गणित, हिंदी के शिक्षक नहीं है। प्रधानाचार्य तो स्थापना काल से नौ वर्षों के भीतर एक बार भी यहां तैनात नहीं हुआ।

आलू की खेती में बिमारी लगी हुई है। सेब की पेड़ दूसरे साल सूख रहे है।
चौपाल में ग्रामीणों ने कहा कि पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं है, लेकिन पैदल यात्रा के लिए भी मार्ग नहीं है।
चौपाल में जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा कि वे जिला पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत की बैठक में इन सवालों को प्रमुखता से उठायेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो वे नामिक के ग्रामीणों के साथ स्वयं भी भूख हड़ताल सत्याग्रह में बैठेंगे।
चौपाल में भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रबंधक बहादुर सिंह धर्मसक्तू, क्षेत्र पंचायत सदस्य दमयंती देवी,पूर्व प्रधान खुशाल सिंह, भगत राम, सरपंच प्रताप सिंह, मोहन राम, प्रवीण सिंह, लछीमा देवी, भानुली देवी, मोहन सिंह, महेंद्र सिंह, डिगर सिंह, बहादुर सिंह कन्यारी, कमला देवी, गुमानी राम, लाल सिंह, पान सिंह, खड़क सिंह, अनी राम आदि मौजूद रहे।

हिलवार्ता न्यूज डेस्क 

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