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उत्तराखंड: कुमायूँ के अधिकांश इलाके में आज,कुमायूँ से सटे गढ़वाल इलाके में कल होगी हरेले की बुवाई, लोकपर्व हरेले का महत्व जानिए @हिलवार्ता
कुमाऊँ के अधिकांश क्षेत्रों में हरेला आज यानी 8 जुलाई कुमाऊं के सटे गढ़वाल क्षेत्र में हरेले की बुवाई कल यानी 9 जुलाई को होगी लोक पर्वों में शुमार हरेला कुमायूँ की अनूठी परंपरा में शामिल है जिसे आज से या हरेला बुवाई की तिथि से दसवें दिन काट कर इष्ट देवता को चढ़ाकर परिवार,मित्रजनों के सिर पर रखकर धन धान्य समृद्धि की कामना की जाती हैं.
सौंण(श्रावण) के महीने की संक्रान्ति को मनाए जाने वाले लोकपर्व ” हरेला” बुवाई के लिए आज सतनाज(सात प्रकार का अनाज) रिंगाल,बांस या चौड़े पत्ते से बनाई टोकरी में मिट्टी भरकर बोया जाता है.हरेला बोने के लिए जो मिट्टी उपयोग में लाई जाती है साफ सुथरी जगह से एक दिन पहले ही खेत से निकाल छान लेने के बाद प्रयोग की जाती है.कई स्थानों पर रेत मिश्रित मिट्टी का भी प्रयोग किया जाता है माना जाता है कि रेत मिश्रित मिट्टी में पोंधो को हवा पानी की सही सप्लाई हो जाती है.
बुवाई से ठीक दसवें दिन संक्रान्ति 17 जुलाई 2019 को हरेला काटा जाएगा,तब तक प्रतिदिन इसमें प्रात:काल की पूजा-अर्चना के के बाद शुद्ध जल डाला जाता है,कोशिश रहती है कि हरेला अच्छा होवे जो कि धन धान्य और समृद्धि का प्रतीक है,हरेले की पौध अच्छी होने का मतलब ऋतु से सम्बंधित फसल के अच्छे होने के अनुमान से भी है इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है.
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हरेला भी कई जगह 11 वें दिन,कई जगह दसवें दिन और कुछ स्थानों पर नौवें दिन काटे जाने की परम्परा है,इस लिहाज से जिन जगहों पर ग्यारहवें दिन हरेला काटा जाएगा,वहॉ कल 7 जुलाई को हरेला बो दिया गया है,जिन स्थानों में दसवें दिन हरेला काटा जाएगा वहॉ आज 8 जुलाई को हरेला बोया गया और जिन स्थानों में नवें दिन हरेला काटा जाता है,उन जगहों पर घरों में कल 9 जुलाई को हरेले कि बुवाई की जा रही है.
वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन रौतेला
हिलवार्ता न्यूज डेस्क के लिए
@hillvarta. com