उत्तराखण्ड
उत्तराखंड:जिला पंचायत के सभी जिलों के परिणाम देखिये @हिलवार्ता न्यूज, कांग्रेस ने कौन सी दो सीट जीतकर बचाई इज्जत; पूरा पढ़िए
जिला पंचायत चुनावों के नतीजे आ गए हैं जहाँ क्षेत्र पंचायत चुनावों में कांग्रेस की हालत पतली दिख रही थी जिला पंचायत के लिए हुए चुनावों में कांग्रेस ने कुछ सीटें जीतकर राहत की सांस ली है, अलमोड़ा में अप्रत्याशित तरीके से कॉंग्रेस के द्वाराहाट के पूर्व विधायक मदन सिंह बिष्ट अपनी पत्नी श्रीमती उमा सिंह को अध्यक्ष बनवाने में सफल हुए हैं वहीं चमोली जिले की सीट श्रीमती रजनी भंडारी के खाते में गई है यहां भी कांग्रेस के पूर्व मंत्री राजेन्द्र भंडारी इस सीट को अपने पाले लाने में कामयाब रहे हैं उत्तरकाशी निर्दलीय दीपक बिजल्वाण ने सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस को पटखनी दे पद पर कब्जा किया. नैनीताल, उधमसिंह नगर,पिथौरागढ़,चंपावत, जिलापंचायत अध्यक्ष पहले ही निर्विरोध चुने जा चुके हैं.आज आये जिला पंचायत परिणामों में भाजपा ने वर्चस्व दिखाया है.
जिला पंचायत बागेश्वर में बसन्ती देव अध्यक्ष चुनाव जीत गई हैं, वहीं अलमोड़ा में पूर्व विधायक मदन सिंह बिष्ट की पत्नी श्रीमती उमा सिंह बिष्ट 1 मत के अंतर से जीत, जिला पंचायत अध्यक्ष बन गई है.
चमोली जिले की जिलापंचायत सीट श्रीमती रजनी भंडारी की झोली में आई है कांग्रेस ने यहां जीत हासिल की है.
उत्तरकाशी दीपक बिजल्वाण निर्दलीय ने भाजपा उम्मीदवार को 1 मत से हराकर जिलापंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा किया.
अल्मोड़ा ज़िला पंचायत में कांग्रेस समर्थित उमा सिंह बिष्ट विजयी। 1 वोट से भाजपा प्रत्याशी महेश नयाल को किया पराजित.
जिला पंचायत बागेश्वर में बसन्ती देव अध्यक्ष का चुनाव जीत गई हैं उन्होंने सीधे मुकाबले में अपने प्रतिद्वंद्वी को 1 मत से हराया.
देहरादून जिला पंचायत में श्रीमती मधु चौहान चुनाव जीत गई हैं मधु चौहान भाजपा नेता मुन्ना सिंह चौहान की धर्मपत्नी हैं.
टिहरी जिले में सोना सजवाण जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई हैं. पौड़ी में भाजपा की शांति देवी विजयी हुई हैं.
रुद्रप्रयाग में भाजपा की अमरदेई शाह जिला पंचायत चुनाव जीत अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं.
आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस की पंचायत चुनाव में भारी फजीहत हुई है सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों में खूब चुटकी ली जा रही है कि आखिर कांग्रेस की हालत के लिए खुद कांग्रेसी जिम्मेदार हैं या भाजपा ने उसे पटखनी दी.उत्तराखंड में गुटबाजी की शिकार कांग्रेस ने जीते दो अध्यक्ष भी पूर्व विधायक और मंत्री ने अपने प्रभाव से जीती हैं फिर कांग्रेस संगठन का चुनावों में कितना योगदान रहा साफ दिखाई दे रहा है.
यूकेडी ने कुछ सीटें क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत में भी जीतकर राजनीतिक सक्रियता का एहसास दिलाया है.जबकि बहुत जगह निर्दलीयों ने दोनो बड़ी पार्टीयों को किनारे कर अपनी छाप छोड़ी है.राज्य गठन के बाद पहली बार हाईकोर्ट ने धनबल के प्रयोग रोकने का आदेश दिया था यह कहना आसान नहीं कि पंचायत चुनावों में कितने लोगों ने बिना पैसे चुनाव निष्पक्ष लड़ा और जीता.
देखना होगा आने वाले समय मे निर्दलीय किस कदर योजनाओं को जनहित में उपयोग के लिए सरकार पर दबाव बना पाते हैं.यह भी देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार बिना भेदभाव किस तरह विकास का बजट उन्हें आवंटित करती है.
हिलवार्ता न्यूज डेस्क
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