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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में अनुमानित 500 करोड़ के छात्रवृति घोटाले में एसआईटी ने गिरफ़्तार किया कॉलेज का मालिक, कई का आने वाला है नंबर , बड़ी मछलियों तक जाएगी एसआईटी ।

  • बहुचर्चित समाज कल्याण विभाग में छात्रवृति घोटाले की दर परत खुलते जा रही है 3 .3.2019 को एसआईटी ने एक और घपले के आरोपी को धर दबोचा है । थाना सिडकुल में एक दिसम्बर 2018 को धारा 420,120बी 109 के तहत दर्ज प्राथमिकी और इस केसकी विवेचना में पुख्ता साक्ष्य मिलने के बाद आज इस घोटाले में लिप्त कालेज का मालिक गिरफ्तार किया है जिसे आज 4 .3.2019 को कोर्ट में पेश कर जेल भेजा जाएगा ।

  • गिरफ्तार शख्स रुड़की धनोरी हरिद्वार के तीन, अमृत ला कालेज अमृत आयुर्वेदिक कालेज और अमृत कालेज ऑफ एजुकेशन का चैयरमेन /मालिक /डायरेक्टर है ,एसआईटी ने विवेचना में पाया कि उक्त के ही तीन कालेज हैं जिसके दो कालेजों से  छात्रवृत्ति का कुल चौदह करोड़ पिच्यासी लाख पिच्यासी हजार चालीस रुपया ठिकाने लगाया गया । विवेचना के दौरान जांचकर्ता ने पाया कि  संस्थान ने विद्यार्थियों के फर्जी एडमिशन दिखाए और उनके नाम से  समाज कल्याण से वर्ष 2014-15 के मध्य 6 करोड़ 32 लाख 48 हजार 990 रुपया विभाग से झटक लिया , संस्थानों में एड्मिशन हुआ ही नहीं फिर दुबारा 2016 -17 के मध्य 8 करोड़ 53 लाख 36 हजार 50 रुपये दुबारा दूसरे संस्थान में एडमिशन दिखाकर डकार लिए  ।
  • गढ़वाल के अधिकतर कालेज उतराखण्ड टेक्निकल यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध हैं इस घोटाले की विवेचना के दौरान संस्थान में दर्ज विद्यार्थियों के परीक्षा में सम्मिलित होने के प्रमाण जब यूनिवर्सिटी में खंगाले गए इस घोटाले की परत खुलती गई जांच टीम ने पाया कि कई छात्र छात्राओं के नाम दो दो कोर्स में दर्ज कराए गये हैं एक ही नाम और अभिवावक के नाम कई छात्र दर्ज हैं यह भी सामने आया  कि संस्थान में दिखाए विद्यार्थियों ने कभी परीक्षा दी ही नहीं।इससे पहले इस मामले में 12 फरवरी 2019 को प्रोफेशनल स्टडीज बेदपुर , रुड़की के मालिक /मैनेजिंग डाइरेक्टर को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है । जबकि दूसरा संचालक फरार है जिसकी जिसकी गिरफ्तारी की कोशिश चल रही है ।
  • राज्य गठन के बाद अभी तक के सबसे बड़े इस घोटाले की उठापटक में आठ साल लग गए कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जांच हो पाई अलग अलग मंचों पर भरस्टाचार पर कार्यवाही दावे /चर्चा करती रही सरकारों ने इस घोटाले पर चुप्पी साधे रखी , 2010 में संज्ञान में आये इस घोटाले के बाद इस मामले को उजागर करने में सक्रिय हल्द्वानी के आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट चंद्रशेखर करगेती को एससीएसटी एक्ट में मुकदमा तक झेलना पड़ा ।
  • इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अप्रैल 2017 को एसआईटी को सौंप दिया था और जांच तीन माह के अंदर सौपने की बात कही गई थी इस मामले की एफ आई आर संख्या” 0496 है  , जो 1.12.2018 को दर्ज हो पाई यानी बीस माह बाद । इससे यह समझा जा सकता है कि इस मामले को दबाने के पूरे प्रयास किये जा रहे थे । बमुश्किल करीब दो साल बाद 27.3.2018 समाज कल्याण के संयुक्त सचिव ने इस मामले में जांच के आदेश किये ।
  • इस मामले को उलझाने के कई प्रयास सामने आए जिसमे कभी सीबीआई से जांच तो कभी विभागीय जांच के बहाने बनाये गए , जब एसआईटी को इस मामले को सौपा गया ,विभाग द्वारा अलग अलग समय पर जांच को भटकाने की कोशिश की गई ।
  • इधर मामला तब और उलझ गया जब सरकार ने जांच कर रहे एसआईटी प्रमुख टी मंजूनाथ (आईपीएस) को स्थानांतरित कर दिया गया।  इस करोड़ों के घोटाले को संज्ञान में लेकर सामाजिक कार्यकर्ता देहरादून निवासी रविन्द्र जुगरान ने नैनीताल हाइकोर्ट में इस मामले पर पीआईएल दाखिल करते हुए मांग की कि इसकी विस्तृत जांच कराई जाए, माननीय कोर्ट ने एसआईटी प्रमुख से देरी का कारण पूछा , जांच अधिकारी मंजूनाथ ने कोर्ट को बताया कि विभाग उनको सहयोग नहीं कर रहा है जिसके साक्ष्य माननीय न्यायालय को उन्होंने सौपे भी ।
  • सरकार इस मामले में कोर्ट से वक्त मांगती रही ,श्री जुगरान की  पीआईएल संख्या 228आफ 2018 बनाम उतराखण्ड सरकार की सुनवाई नैनीताल स्थित हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन और जस्टिस आर सी खुल्बे की संयुक्त पीठ ने की ।  9 जनवरी को दिए आदेश में कोर्ट ने इस घोटाले के जांच अधिकारी आईपीएस टी मंजूनाथ को ही जांच प्रमुख रखने और विभाग सहयोग करने सहित इस घोटाले की जांच की रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत करने को कहा है।
  • माननीय हाईकोर्ट के आदेश के बाद जांच प्रमुख ने इस घोटाले की फाइलें खोल , दो आरोपियों को जेल की सलाखों तक पहुचा दिया है ,अभी और कई सफेदपोश बाहर आने बांकी हैं ,उतराखण्ड के देहरादून हरिद्वार और उधमसिंह नगर में हुए इस घोटाले के बड़े प्यादे अभी जांच के दायरे में हैं कोर्ट की सख्ती और एसआईटी की चल रही जांच से आशा जगी है कि इस मामले में और बड़े घोटालेबाज जेल जाएंगे ।
  • उत्तराखण्ड में गरीब दलित विद्यार्थियों के नाम से करोड़ों रुपयों की इस ठगी से विगत आठ साल से सरकारी सिस्टम का अनभिज्ञ रहना बेचैनी बढ़ाने वाला है ,इस जांच में हीला -हवाली निसंदेह किसी बड़ी गिरोहबंदी की ओर इशारा करती है, क्या वाकई एसआईटी बड़ी मछलियों तक पहुच पाएगी ,माननीय न्यायालय के आदेश और जागरूक नागरिको की कोशिश से इस घोटाले से पर्दा उठने की संभावनाएं जरूर बढ़ी हैं  साथ ही एसआईटी के अभी  तक के काम से लग रहा है बड़ी कामयाबी मिल सकेगी ।


रिपोर्ट जारी ……

         Hillvarta news desk .

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