उत्तराखण्ड
ब्रेकिंग न्यूज : बनारस घराने के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक छन्नू लाल मिश्र का 91 वर्ष में निधन, कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति । खेले मसाने में होली दिगम्बर सहित कई ठुमरियों के लिए जाने जाते थे मिश्र । खबर@हिलवार्ता
बनारस : आज कला जगत के लिए बहुत दुख भरी खबर है बनारस घराने के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छून्नू लाल मिश्र ने आज दशहरा के दिन देह त्याग दिया उनके निधन की खबर से काशी सहित पूरे देश के संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई।
पंडित प्रारंभिक जीवन और संगीत यात्रा घर से शुरू हुई ,पंडित छन्नू लाल मिश्र का जन्म 1936 में वाराणसी में हुआ। संगीत प्रेमी परिवार में पैदा हुए अतएव बचपन से ही वे संगीत के प्रति आकर्षित रहे। परिवार से मिले संगीत संस्कारों और कड़ी साधना ने उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत का चमकता सितारा बना दिया। वे बनारस घराने की परंपरा से जुड़े और उसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
फाइल फोटो पंडित छून्नू लाल मिश्र
पंडित जी ने स्वतः ही नई गायन शैली विकसित की और उसे अपने योगदान से विश्व भर में ख्याति दिलाई ,पंडित मिश्र की विशेषता ठुमरी, दादरा, चैत, कजरी, भजन और ख्याल गायन रही।
उनकी गायकी में भाव और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिलता था। वे अपनी रचनाओं से श्रोताओं को न केवल संगीत का आनंद, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव भी कराते थे।
भारतीय संगीत को उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाया और अमेरिका, ब्रिटेन व यूरोप सहित कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन किया।
उनका प्रसिद्ध होली गीत खेले मसाने में होली दिगम्बर शायद ही किसी श्रोता से छुटा हो उनकी गायन शैली का हर कोई मुरीद रहा है ।
भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से अलंकृत किया।उत्तर प्रदेश सरकार ने यश भारती सम्मान प्रदान किया।कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और संस्थागत सम्मान उन्हें प्राप्त हुए। उनके निधन पर उनके चाहने वालों ने उन्हें महान कलाकार बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है ।
संगीत के मनीषी युगदृष्टा गायक को हिलवार्ता परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि 🙏
हिलवार्ता न्यूज
डेस्क की रिपोर्ट
