उत्तराखण्ड
उत्तराखंड: हाथी कॉरिडोर पर किसी भी तरह के अतिक्रमण सहित, हाथियों को भगाने में उपयोग में लाये जा रहे अवांछित क्रियाकलापों पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक.पूरा पढ़िए@हिलवार्ता
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आज तय समय 15 अक्टूबर को हाथी कारीडोर मार्ग में अतिक्रमण मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई की.दस अक्टूबर को दायर याचिका में कोर्ट ने वन विभाग को रिपोर्ट देने का आदेश दिया था.
आज हुई सुनवाई के बाद माननीय कोर्ट ने हाथी कॉरीडोर पर किसी भी तरह के अतिक्रमण पर रोक लगा दी है,यही नहीं याचिकाकर्ता की शिकायत कि हाथियों को भगाने के लिए मिर्च पावडर, फायरिंग,पटाखे पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है.
खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि वन विभाग द्वारा अपनाया जा रहा तरीका पशु क्रूरता अधिनियम के तहत अवांछनीय है मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवम न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस तरह के अमानवीय कृत्य पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए.
ज्ञात रहे कि दिल्ली की पशु प्रेमी संस्था इंडिपेंडेंट मेडिकल इंटिवेट सोसाइटी ने अधिवक्ता दुष्यन्त मैनाली के माध्यम से 10 अक्टूबर को हाथी कॉरिडोर रामनगर में अतिक्रमण की वजह हाथियों की बेरोकटोक आवाजाही पर पड़ रहे दखल के खिलाफ याचिका दायर की थी.
उत्तराखंड में पड़ने वाले 11 हाथी काडिडोर मार्ग में अंधाधुंध निर्माण हुआ है अतिक्रमण कर व्यवसायिक भवन बनाए गए है,ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाला कोरीडोर में 150 से अधिक व्यवसायिक निर्माण के चलते पूरी तरह अवरुद्ध हो चुका है साथ ही मोहान क्षेत्र में भी दिनोदिन निर्माण हो रहा है इस सड़क पर रात्रि में ऊंची आवाज में टूरिस्ट म्यूजिक चलाते हुए वाहन दौड़ाते रहते हैं जिससे पानी के लिए कोसी तक हाथियों का मार्ग अवरुद्ध होता है.
आज हाईकोर्ट की खंडपीठ में न्यायाधीश द्वय ने उक्त गतिविधियों पर रोक लगाने के साथ ही राज्य सरकार ,डीएफओ,मुख्य जीव संरक्षक सहित निदेशक कार्बेट पार्क को तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का आदेश जारी किया है.
हिलवार्ता न्यूज डेस्क
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