उत्तराखण्ड
दुखद समाचार :लोकगायक हीरा सिंह राणा नहीं रहे,दिल्ली में हुआ निधन उत्तराखंड में शोक की लहर.हिलवार्ता
उत्तराखंड के सुप्रसिद्व लोक गायक हीरा सिंह राणा का आज प्रातः 3:00 बजे दिल्ली स्थित अपने निवास विनोद नगर में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया । हाल ही में दिल्ली सरकार ने हीरा सिंह राणा को गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी अकादमी का उपाध्यक्ष मनोनीत किया था, हीरा सिंह राणा ने कई जनगीतों को लिखा और आवाज दी । उत्तराखंड के कला प्रेमी उनकी मौत की खबर से स्तब्ध हैं ।
हीरा सिंह राणा के गीतों की मारक क्षमता बहुत अधिक रही है ,उन्होंने लोक को बहुत गहराई से जिया है, उनके गीतों में विविधता है उनके पास लोक की अनेक विधाएं रही हैं, जिस वजह उनका गायन विशेष तरह की अनुभूति युक्त दिल को छूने वाला रहा है ।
उनके लेखन में हास्य,व्यंग,प्रेम, विरह सभी विधाओं की भरमार है,इसी वजह उनके अलग अलग समय पर भिन्न सब्जेक्ट पर गाने हिट रहे उन्हें लोगों ने बहुत पसंद किया आठवें दशक के उनके गानों की खूब धूम रही,आज काल हेरे जवां ना मेरी नॉली पारणा, रंगीली बिंदी घघरी काई, लोकप्रिय हुए, लोकजीवन पर राणा जी की पकड़ जबरदस्त थी
उनकी त्योर पहड़ म्योर पहाड़, होय दुःखों को डयर पहाड़,बुजुर्गों ले जोड़ पहाड़,राजनीति ले तोड़ पहाड़,ठेकेदारों ले फोड़ पहाड़,नांतिनों ले छोड़ पहाड़, गीत उनकी अपने समाज को समझने और उसे अपने गीतों में पिरोकर आम आवाज बना देने की कला का बड़ा उदाहरण है
उनके लिखे, गाये हुए जनगीत उत्तराखंड के सभी छोटे बड़े आंदोलनों की धार बनती रही हैं गिर्दा और प्रसिद्ध गायक नरेंद्र सिंह नेगी की तरह हीरा सिंह राणा उत्तराखंड के जनमानस में बहुत लोकप्रिय कलाकारों में एक रहे । उनके जनगीत में लशका कमर बांधा हिम्मत क साथा,भोल जब उज्याव होलो, बहुत लोकप्रिय रहा ।
लोक के मर्मज्ञ कवि गायक हीरा सिंह राणा जी को हिलवार्ता की अश्रुपूरित श्रधांजलि ।
हिलवार्ता न्यूज डेस्क