उत्तराखण्ड
आईएमए उत्तराखंड ने सरकार से हरियाणा की तर्ज पर क्लिनिकल स्टेशब्लिसमेंट बिल में राहत देने की मांग की. खबर विस्तार से@ हिलवार्ता
उत्तराखंड आई एम ए ने क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट बिल 2010 के तहत राज्य में हरियाणा , सरकार की तर्ज पर ही निजी क्लीनिक और छोटे अस्पतालों को छूट देने की मांग की है । आई एम ए लंबे समय से विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते नियमों में ढील देने की मांग कर रही है ।
आई एम ए हल्द्वानी कार्यकारिणी द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में बतौर मुख्य वक्ता आई एम ए स्टेट प्रेसिडेंट डॉक्टर चंद्र शेखर जोशी ने कहा कि केबिनेट द्वारा अस्पतालों के पंजीकरण शुल्क में कटौती का संस्था स्वागत करती है लेकिन वर्षों से क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट बिल की एवज में रोजमर्रा की प्रैक्टिस में आने वाली दिक्कतों से निजी चिकित्सालय जूझ रहे हैं उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अधिसंख्य जनसंख्या इन अस्पतालों पर निर्भर है इसलिए इनकी परेशानी भी सरकार को प्राथमिकता से हल करनी चाहिए ।
पदाधिकारियों ने एकमत से कहा कि बिल के कई मसौदे इतने कड़े हैं कि उन्हें लागू करना बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों के इतर पूरा कर पाना मुश्किल है । और कहा कि बिल में राज्य की भौगोलिक आधार पर अगर परिवर्तन नहीं किया गया तो राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है । आई एम ए का मानना है कि पर्वतीय राज्य की भौगोलिक संरचना को संज्ञान में रखते हुए नियमों में तब्दीली करनी चाहिए जिससे कि लोगों को समुचित इलाज मुहैया हो सके ।
Dr joshi ने उदाहरण देते हुए बताया कि जिन मानकों को इस बिल के तहत लागू करने की चेष्टा की जाती है वह विशेषकर उत्तराखंड के परिपेक्ष में ग्रामीण इलाकों में असंभव और शहरी घनी आबादी के मध्य टेडी खीर है । आई एम ए के पदाधिकारियों ने सवाल किया कि जब राज्य के अधिकांश मुख्य सड़कों की चौड़ाई ही अग्निशमन वाहनों के प्रवेश के लिए पर्याप्त नहीं है ऐसे में बिल में निर्देशित मानकों जिसमे कहा गया है कि क्लीनिक अस्पताल के चारों तरफ ओपन स्पेस हो, जहां अग्निशमन वाहन आसानी से प्रवेश कर सके । कैसे संभव होगा ?
उन्होंने कहा कि नए बसाए जा रहे शहरों में इस कानून की प्रासंगिकता समझी जा सकती है लेकिन बिल लाए जाने के बाद पूर्व में स्थापित अस्पतालों जो अनेकों कई सालों से सेवाएं दे रहे हैं को इतने कड़े नियमों से संचालित करना मुश्किल हो जाएगा जिसका असर चिकित्सकों और चिकित्सा सेवाओं दोनो पर पड़ेगा ।
आई एम ए ने मुखमंत्री से उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने की मांग की है । और कहा है कि देश के कई राज्यों मसलन हरियाणा की तर्ज पर यह अधिकार सरकार के पास है कि वह अपने उपलब्ध संसाधनों के आधार पर बिल में आवश्यक सिथिलता प्रदान कर सकती है ।
आई एम ए द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में बायोमेडिकल वेस्ट और निस्तारण हेतु आवश्यक ट्रीटमेंट प्लांट की दूरी और वेस्ट के निस्तारण में बार कोडिंग को लेकर भी नाराजी हैं । वक्ताओं ने कहा कि बायोमेडिकल वेस्ट हेतु उनसे अत्यधिक शुल्क वसूला जा रहा है ज्ञात रहे कि 11से 20 बेड वाले अस्पताल से 5700 रुपए प्रतिमाह अदायगी कर रहे हैं जिसे कम किए जाने की मांग संगठन ने की है ।
ज्ञात रहे कि इधर नैनीताल हाईकोर्ट में कोविड 19 की दिक्कतों के मद्देनजर एक्टिविस्ट अभिनव थापर की पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे अस्पतालों को पंजीकरण और मानकों में छूट दिए जाने के प्रयोज्य एक याचिका दायर की गई थी याचिका पर राज्य सरकार से कोर्ट ने जबाव दाखिल करने को कहा था । जिसकी सुनवाई 14 जून को होनी थी । उक्त दिवस पर सुनवाई नहीं हो सकी । इससे पहले की कोर्ट का फाइनल डिसीजन आए सरकार ने पंजीकरण शुल्क में कटौती कर दी है । जिसका आई एम ए ने स्वागत किया है ।
रामपुर रोड स्थित एक होटल में हुए कार्यक्रम में आई एम ए स्टेट प्रेसिडेंट डा. चंद्रशेखर जोशी, पूर्व अध्यक्ष डा जे एस खुराना, डा दिनेश चंद्र पंत, शहर अध्यक्ष डा जे एस भंडारी, सचिव डा संजय सिंह डा दीपक अग्रवाल, डा धीरज साहू ने अपनी बात रखी और जल्द निराकरण की मांग की ।
Oppandey@ Hill वार्ता न्यूज डेस्क