उत्तराखण्ड
उत्तराखंड के रामनगर में हाथी कॉरिडोर पर अतिक्रमण,इसकी वजह हाथियों की आवाजाही पर हो रही दिक्कतों पर हाईकोर्ट ने वन विभाग से मांगा जबाब, पूरा पढ़िए @हिलवार्ता
उत्तराखण्ड में पड़ने वाले हाथी कॉरिडोर में बार बार मानव वन्यजीव के संघर्ष की खबरें आती रहती हैं राज्य की सीमा से लगा कॉरिडोर पिछले काफी समय से अतिक्रमण की जद में है उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड के इस इलाके में टूरिज़्म की संभावनाओं को देखते हुए राज्य निर्माण की बाद रिजॉर्ट्स की बाढ़ सी आ गई है पहले जंगली इलाके में पशुचारको द्वारा अतिक्रमण किया गया धीरे धीरे सूबे के रसूखदार लोगों जिनमे उत्तराखंड के मंत्री तक शामिल हैं के रिजॉर्ट्स बन गए जिससे स्थिति और भयावह बन गई है.रसूखदार लोगों के इन रिसॉर्ट्स पर कार्यवाही करने से प्रशासन हमेशा बचते आया है कॉरिडोर पर हाथियों की आवाजाही पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है जिस कारण हाथियों का झुंड गांवों की तरफ आकर बड़ा नुकसान हर वर्ष करते हैं.
हाथी कॉरिडोर पर अतिक्रमण पर दिल्ली की संस्था इंनडिपेडेंट मेडिकल इंनटिवेट सोसाइटी ने जनहित याचिका दायर की और बताया कि उत्तराखण्ड में 11 हाथी काडिडोर मार्ग है जिनमे हाल बहुत अतिक्रमण हुआ है,बड़ी संख्या में व्यवसायिक निर्माण हुए हैं रामनगर के पास 3 हाथी काडिडोर हैं, रामनगर मोहान सीमा से लगते हुए 27 किमी हाईवे पड़ता है,इस क्षेत्र में 150 से अधिक व्यवसायिक निर्माण हुए हैं जिस कारण कॉरिडोर पूरी तरह बंद हो चुका है,व्यवसायिक गतिविधियों के कारण रात्रि में यातायात होता है किसी भी तरह की यातायात पर नियंत्रण नही रहा है,रात्रि में वाहनों की आवाजाही से हाथियों को कोसी नदी तक पहुचने में बाधा पहुच रही है यही नही व्यवसायिक भवनों में शादियां,पार्टीयां रोज की बात है इनमें होने वाले शोरगुल से वन्यजीवों की निजता में खलल पड़ रहा है, संस्था ने कहा है कि वन विभाग द्वारा जंगलो में मानव दखलनदांजी को रोकने के बजाए हाथियों को हाईवे में आने से रोकने के लिए मिर्च पाउडर और पटाखो का प्रयोग किया जा रहा है,जो वन्यजीव संरक्षण के अधिनियम विरुद्ध है इसन कारणों से हाथियों के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है और वे हिंसक हो रहे है,संस्था ने कोर्ट को अवगत कराया है कि बीते एक वर्ष में हाथियों की हमले की 20 से अधिक धटनाए हो चुकी है, याचिका कर्ता का कहना है कि एक हाथी प्रतिदिन 225 लीटर पानी पीता है जिसके लिए स्थानीय नदी कोसी तक उसका मार्ग रूकावट विहीन होना चाहिए,जबकि वन विभाग ने ही कतिपय कारणों से उनके मार्गों को अवरुद्ध करने का काम किया है.
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई,खंडपीठ ने मुख्य वन्यजीव सरंक्षण रामनगर,डी.एफ.ओ.निदेशक कार्बेट पार्क से 15 अक्टूबर तक जवाब पेश करने को कहा है,साथ ही कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए वन्यजीव संरक्षक सहित,डी.एफ.ओ से पूछा है कि हाथियों को हाईवे पर आने से रोकने के लिए र्मिच खिलाने,फायरिंग व पटाखें फोड़ने जैसे पशु क्रुरता भरे कृत्य करने की अनुमति उन्हे किसने दी है.इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 15 अक्टूबर की तिथि नियत की है.
हिलवार्ता न्यूज डेस्क
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