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उत्तराखण्ड

पिथौरागढ़ छात्र आंदोलन: कुमायूँ विश्वविद्यालय के कुलपति ने पिथौरागढ़ महाविद्यालय के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया, कहा बांकी मांगें शासन स्तर की.साथ ही उच्च शिक्षा निदेशक ने क्या कहा पूरा पढ़िए@हिलवार्ता,

पिथौरागढ़ छात्र आंदोलन आज बीसवें दिन में प्रवेश कर गया है महाविद्यालय पुस्तकों,/फर्नीचर/अध्यापकों की कमी से जूझ रहा है, जिस व्यवस्था को सरकार ध्यान में रखना चाहिए था वह नहीं किया जा रहा है इसी कारण मामला पिथौरागढ़ से उठा है लेकिन हालात यह है कि प्रदेश के सभी डिग्री कालेजों में इसी तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ता है,ज्ञापन आश्वासन का दौर चला है लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया इसलिए पिथौरागढ़ में छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, सरकार को चाहिए कि पूरे प्रदेश के महाविद्यालयों में अनिवार्य सुविधाएं उपलब्ध कराए.
छात्र नेता राकेश जोशी ने बताया कि कई बार महाविद्यालय प्रशासन के माध्यम से मांगों के निस्तारण की मांग की गई,हर बार छात्रों को निराश होना पड़ा.11 जून को ज्ञापन में समस्याओं के निराकरण की मांग रखी गई.जिसकी सुनवाई ही नहीं हुई,उन्होंने छात्रों की परेशानी को देखते हुए महाविद्यालय दूर होने की वजह विश्वविद्यालय बार बार आने पर परेशानी से निपटने हेतु स्थानीय स्तर पर समस्याओं के निराकरण हेतु सब रजिस्ट्रार देने की मांग की.साथ ही महाविद्यालय में स्वीकृत 122 पदों पर नियुक्ति,पर्याप्त फर्नीचर और किताबों की व्यवस्था के वावत मांग पत्र दिया उन्हें निराशा हाथ लगी. 15 दिन का समय देने के वावजूद कोई सुनवाई नहीं होने पर छात्रों के सामने आंदोलन के शिवा कोई चारा नही था यही कारण है कि आंदोलन आज बीसवें दिन जारी है.

छात्र आंदोलन को धीरे धीरे व्यापक रूप ले चुका है, धीरे धीरे सोशल मीडिया, समाचार पत्रों टीवी चैनलों में यह आंदोलन कवर हो रहा है बच्चों की जायज इस परेशानी के खिलाफ अभिवावकों ने समर्थन देकर जुलूस निकाला है सामाजिक कार्यकर्ता सहित बुद्धिजीवी छात्रों के इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं. आंदोलन की आग देहरादून तक फैल चुकी है,छात्र नेता राकेश जोशी से बातचीत के बाद आज हिलवार्ता ने कुलपति डॉ के एस राणा से जानकारी प्राप्त की. कुलपति ने कहा छात्रों की मांग में से एक सब रजिस्ट्रार की नियुक्ति विश्वविद्यालय की नहीं शासन स्तर की है उन्होंने अपने स्तर से छात्रों की मांग पर कार्यवाही करते हुए इस आशय का पत्र जारी कर दिया है आज यानी 9 जुलाई को प्राचार्य को भेजा जा रहा है. कुलपति ने बताया कि उन्होंने प्राचार्य से तीन नाम मांगे थे जिनमें से विश्वविद्यालय, पिथौरागढ़ में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करना चाह रहा था, प्राचार्य से नाम मिलने के बाद नियुक्ति पत्र भेजा जा रहा है कुलसचिव महेश चंद्र ने अवगत कराया कि विश्वविद्यालय ने पिथौरागढ़ महाविद्यालय के ही डॉ नरेंद्र सिंह धारियाल को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्ति कर दी है डॉ धारियाल को विश्वविद्यालय उक्त कार्य हेतु/ कार्यावधि में 3000 रुपया का खर्च वहन करेगा. कुलपति डॉ के एस राणा ने कहा कि बांकी मांगे शासन स्तर की है इसलिए मांगपत्र को अग्रसारित कर शासन को अवगत कराया जा रहा है

छात्रों की अन्य मांग के संदर्भ में हिलवार्ता ने प्रभारी उच्च शिक्षा निदेशक प्रो.सुरेश चंद्र पंत से भी वार्ता की. डॉ पंत ने बताया कि उन्हें छात्रों के आंदोलन के और उनकी मांगों के संदर्भ में प्राचार्य की ओर से आधिकारिक रूप से अवगत कराया ही नहीं गया.उन्होंने समाचार पत्रों के माध्यम से स्वतः संज्ञान लेकर पूरी जानकारी देने का आदेश पिथौरागढ़ महाविद्यालय प्रशासन को भेज दिया है. डॉ पंत का कहना है इसी बीच नियुक्तियों की लिस्ट जारी हुई है जिसमे से कुछ प्राध्यापक पिथौरागढ़ को मिले भी हैं लेकिन स्वीकृत 122 पद पूर्ण करना शासन का विषय है जिसे महाविद्यालय से आख्या मिलने के बाद शासन को भेजा जाएगा.फर्नीचर,पुस्तकों के वावत डॉ पंत ने कहा है महाविद्यालय से मांगों के संदर्भ में जानकारी ली जा रही है महाविद्यालय को स्वीकृत फण्ड के हिसाब फर्नीचर और पुस्तकों की व्यवस्था की जाएगी. लेकिन पूर्ण रूप से हो जाएगी वह अपने स्तर से नहीं कह सकते. उन्होंने छात्रों की समस्याओं को समझते हुए शासन को अवगत कराने की बात की है.
कुलपति और उच्चशिक्षा निदेशक ने अपनी अपनी सीमा बताते हुए गेंद शासन के पाले डाल दी है. लेकिन 20 दिन से चल रहे आंदोलन पर ऐसा लगता है जैसे विभाग मंत्रालय को इन मांगों से कोई सरोकार ही नही.लोग पूछ रहे हैं आखिर सरकार की प्राथमिकता में पुस्तक फर्नीचर शिक्षक की कमी से निपटना नही है तो और क्या है?
राज्य आंदोलनकारी प्रताप सिंह कहते हैं राज्य गठन के बाद किसी भी सरकार का एक ही एजेंडा चल रहा है, राजनीतिक पूर्ति के लिए गली गली महाविद्यालय/मेडिकल कालेज खोलना लेकिन उसके लिए पर्याप्त संशाधनों की तरफ मुह मोड़ लेना.प्रदेश स्तर पर सैकड़ों प्राथमिक विद्यालय इस सत्र में बंद कर दिए गए, कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को दूसरी जगह समाहित कर दिया जा रहा है शिक्षा की गुणवत्ता युवाओं की शिक्षा पर सरकार का ध्यान ही नही है. स्कूली छात्रों का सड़कों पर उतरने को मजबूर करना इस बात का प्रमाण है कि सरकार के पास जमीनी स्तर पर राज्य के युवाओं के लिए कोई रोडमेप ही नहीं है.वह कहते हैं कभी इस राज्य के लिए सड़कों पर उतरे लोग आज की हालत पर चिंतित हैं.क्या कारण है कि उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले युवाओं को पुस्तक फर्नीचर के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है. क्या इसीलिये राज्य बना था? छात्रों के आंदोलन को स्वतः संज्ञान लेकर उच्च शिक्षा मंत्रालय/मंत्री को राज्य के युवाओं की बेहतरी के लिए अवलंब पुस्तकों,फर्नीचर,फेकल्टी उपलब्ध करनी चाहिए .
ओ पी पांडेय
@ हिलवार्ता न्यूज डेस्क
Hillvarta. com

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